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एफएंडओ में परिवार हर साल गंवा रहे 60,000 करोड़ रुपये

सेबी की मुखिया ने यहां नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में इस बात पर आश्चर्य जताया कि डेरिवेटिव बाजारों में इस तरह के दांव को व्यापक मुद्दा क्यों नहीं कहा जाना चाहिए। बुच ने कहा अगर एफएंडओ खंड में हर साल 50000-60000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है तो यह व्यापक मुद्दा क्यों नहीं है।

By Agency Edited By: Yogesh Singh Updated: Tue, 30 Jul 2024 09:15 PM (IST)
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सेबी की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, 90 प्रतिशत सौदे घाटे में रहे।

पीटीआई, नई दिल्ली। मार्केट रेगुलेटर सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने मंगलवार को कहा कि बाजार के वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) खंड में शिरकत करने से देश के परिवारों को सालभर में 60,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सेबी की मुखिया ने यहां नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में इस बात पर आश्चर्य जताया कि डेरिवेटिव बाजारों में इस तरह के दांव को 'व्यापक मुद्दा' क्यों नहीं कहा जाना चाहिए। बुच ने कहा, 'अगर एफएंडओ खंड में हर साल 50,000-60,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है तो यह व्यापक मुद्दा क्यों नहीं है? यह राशि आने वाले आईपीओ, म्यूचुअल फंड या अन्य उत्पादक उद्देश्यों के लिए लगाई जा सकती थी।

सेबी की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, 90 प्रतिशत सौदे घाटे में रहे। नियामक ने मंगलवार को एक परामर्श पत्र भी जारी किया, जिसमें इस गतिविधि को सीमित करने के तरीके सुझाए गए हैं। बुच ने कहा कि भले ही शेयर बाजारों को एफएंडओ कम होने पर शुल्क कम मिल सकता है लेकिन लंबी अवधि में यह सभी हितधारकों के लिए फायदेमंद ही होगा।

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