भारत की अर्थव्यवस्था ने तेजी से कैसे भरी उड़ान, RBI गर्वनर ने दिया जवाब
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि केंद्रीय बैंक पूरी तरह आश्वस्त है कि वित्त वर्ष 2024-25 में 7.2 प्रतिशत का आर्थिक विकास दर का अनुमान पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति का ध्यान साफ और स्पष्ट होना चाहिए। उन्होंने बैंक से कर्ज-जमा वृद्धि के बीच बढ़ रहे फासले पर सतर्क रहने को कहा और सलाह दी कि ऋण को जमा से अधिक नहीं होना चाहिए।
पीटीआई, मुंबई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि उनके लगभग छह साल के कार्यकाल के दौरान सरकार के साथ केंद्रीय बैंक के संबंध अच्छे रहे हैं। उन्होंने कहा कि महामारी के बाद अर्थव्यवस्था के तेजी से पुनरोद्धार की एक बड़ी वजह यह भी थी कि दोनों के बीच घनिष्ट समन्वय रहा।
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नौकरशाह से केंद्रीय बैंकर बने दास ने कहा किसी ने भी उनसे अपने कार्यकाल के दौरान सरकार के लिए चीयरलीडर बनने की उम्मीद नहीं की थी। उन्होंने कहा, 'मैं अपने अनुभव से कह रहा हूं कि कोई भी यह उम्मीद नहीं करता है कि आरबीआई चीयरलीडर बने। मुझे ऐसा कोई अनुभव नहीं है।'
दास उस सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें उनके पूर्ववर्ती ने अपनी किताब में यह आरोप लगाया था कि सरकार चाहती है कि आरबीआई उसके मुताबिक काम करे। आरबीआई गवर्नर के तौर पर एक और कार्यकाल मिलने के बारे में पूछे गए सवाल पर दास ने कहा, 'अभी मेरा पूरा ध्यान वर्तमान के कामकाज पर है इसके अलावा मैं कुछ भी नहीं सोचता हूं।'
दास ने कहा कि आरबीआई पूरी तरह आश्वस्त है कि वित्त वर्ष 2024-25 में 7.2 प्रतिशत का आर्थिक विकास दर का अनुमान पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति का ध्यान साफ और स्पष्ट होना चाहिए। उन्होंने बैंक से कर्ज और जमा वृद्धि के बीच बढ़ रहे फासले पर सतर्क रहने को कहा और सलाह दी कि ऋण को जमा से अधिक नहीं होना चाहिए। दास ने कहा कि असुरक्षित कर्ज पर आरबीआई की कार्रवाई का प्रभाव पड़ा है, लेकिन कुछ बैंकों द्वारा असुरक्षित कर्ज बांटे पर उन्होंने चिंता भी व्यक्त की।
कारोबारी घरानों को रियायत देने की योजना नहीं
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक के पास फिलहाल कारोबारी घरानों को बैंक खोलने की मंजूरी देने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि कारोबारी घरानों को बैंक चलाने की अनुमति देने से हितों के टकराव और संबंधित पक्षों के लेनदेन से जुड़ा जोखिम बढ़ जाता है।
आरबीआई ने लगभग एक दशक पहले बैंकों के लाइसेंस देने की प्रक्रिया के अंतिम दौर में कई बड़े कारोबारी समूहों को नए बैंकों का लाइसेंस देने के अयोग्य घोषित कर दिया था। हालांकि देश की वृद्धि आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूंजी जुटाने की कारोबारी घरानों की क्षमता को देखते हुए आरबीआई के एक कार्य समूह ने वर्ष 2020 में इस मुद्दे पर नए सिरे से चर्चा शुरू की थी।
भारत को बैंकों की संख्या में वृद्धि की जरूरत नहीं है। भारत को मजबूत और अच्छी तरह से संचालित बैंकों की जरूरत है और हमें लगता है कि ये प्रौद्योगिकी की मदद से पूरे देश में बचत जुटाने और ऋण जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे।
शक्तिकांत दास, आरबीआई गवर्नर
मुद्रास्फीति को काबू में लाने पर ध्यान
शक्तिकांत दास ने कहा कि मौजूदा माहौल में जब आर्थिक वृद्धि दर अच्छी है, मौद्रिक नीति को स्पष्ट रूप से मुद्रास्फीति पर ध्यान देना चाहिए। तटस्थ दरों को लेकर बहस के बीच, दास ने कहा कि सैद्धांतिक और अमूर्त अवधारणाएं किसी व्यक्ति के निर्णय पर आधारित होती हैं और ये वास्तविक दुनिया में नीति निर्धारित नहीं कर सकती हैं। अधिक ब्याज दर के कारण वृद्धि पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता जताने वालों को जवाब देते हुए दास ने कहा कि मौजूदा नीतिगत दर के बावजूद वृद्धि मजबूत रही है।
लोग पूंजी बाजार में लगा रहे अपनी बचत
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि लोग पारिवारिक बचत को निवेश करने के लिए बैंक के बजाय पूंजी बाजार को चुन रहे हैं। उन्होंने कहा कि परंपरागत तौर पर बैंक पारिवारिक बचत के निवेश की पहली पसंद थे, लेकिन पूंजी बाजार और अन्य वित्तीय मध्यस्थों के लिए बढ़ती प्राथमिकता के साथ उपभोक्ता व्यवहार में उल्लेखनीय बदलाव आया है।
गवर्नर दास ने यह भी बताया कि निवेश पैटर्न में इस बदलाव का बैंकिंग क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। बैंकों को अब ऋण और जमा के बीच के अंतर को पाटने के लिए वैकल्पिक तरीकों की तलाश करनी होगी।
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