भारत कैसे बने विकसित देश, क्या होते हैं डेवलप कंट्री के मानक, कैसे होता है इन मुल्कों की श्रेणियों का निर्धारण
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने अगले 25 साल में देश को विकसित देश बनाने का प्रण हर देशवासी से लेने का आह्वान किया है। ऐसे में एक बार फिर यह प्रश्न उठ रहा है कि आखिर विकासशील और विकसित राष्ट्र कहते किसे हैं?
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Mon, 22 Aug 2022 07:35 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने अगले 25 साल में देश को विकसित देश बनाने का प्रण हर देशवासी से लेने का आह्वान किया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था (5 trillion dollars economy) बनने का संकल्प लिया है। हालांकि चुनौतियां बड़ी हैं। ऐसे में एक बार फिर यह प्रश्न उठ रहा है कि आखिर विकासशील और विकसित राष्ट्र कहते किसे हैं? हम अभी कहां खड़े हैं और आगे की राह क्या है?
ये होते हैं मानक
विकासशील या विकसित को लेकर वैश्विक स्तर पर कोई तय परिभाषा नहीं है। हालांकि अलग-अलग मानकों पर किसी देश की स्थिति उसे विकासशील या विकसित की श्रेणी में रखने का आधार बनती है। मुख्यत: विकसित देश में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं परिवहन की उन्नत व्यवस्था होती है। जनता समृद्ध होती है।
ये होती हैं विशेषताएं
- ऊंची जीडीपी और ज्यादा प्रतिव्यक्ति आय
- मानव विकास सूचकांक में अच्छी स्थिति
- अर्थव्यवस्था में इंडस्ट्री से ज्यादा सर्विस सेक्टर का योगदान
- उन्नत इन्फ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा एवं स्वास्थ्य की अच्छी व्यवस्था
गौरव गान का तेज होता सुर
पिछले साढ़े सात दशक में देश लगातार विकास के पथ पर बढ़ रहा है। हम छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। ब्रिटेन से हम थोड़ा ही पीछे हैं। 2050 तक हम अमेरिका और चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। अधिक आबादी के चलते प्रतिव्यक्ति आय के मामले में ऊपर आना हमारे लिए बड़ी चुनौती बना रहेगा।इन कारणों ने रोके भारत के कदम
पिछले 75 साल में भारत ने कई उपलब्धियां प्राप्त की हैं। हालांकि कई कारक हमारें विकसित होने में बाधा बने रहे।
प्रतिव्यक्ति आय से श्रेणी का निर्धारण
संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिव्यक्ति आय के आधार पर देशों को कम आय, निम्न मध्यम आय, उच्च मध्यम आय की श्रेणियों में रखा है।- 1,086-4,255 डालर की आय होने पर निम्न मध्यम आय वाला देश
- 4,256-13,205 डालर की आय होने पर उच्च मध्यम आय वाला देश
- 13,205 से अधिक आय होने पर उच्च आय वाला देश
गुलामी का दंश
दो सदी से ज्यादा का ब्रिटिश शासन भारत के लिए सबसे ज्यादा चुभने वाला रहा। ब्रिटिश अर्थशास्त्री एंगस मेडिसन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि वर्ष 1700 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी 24.4 प्रतिशत थी, जो 1950 में मात्र 4.2 प्रतिशत रह गई। बहुत से जानकार कहते हैं कि रेल या अन्य सुविधाएं, जिन्हें भारत के विकास में ब्रिटिश शासन का योगदान कहा जाता है, असल में इनसे सिर्फ और सिर्फ ब्रिटेन को भारत को लूटने में मदद मिली।