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OPS और NPS से कैसे अलग है यूनिफाइड पेंशन स्कीम, कर्मचारियों को फायदा होगा या नुकसान?

नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) पेश की है। NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) के तहत रिटायर हुए कर्मचारी भी UPS का लाभ उठा सकेंगे। उन्होंने जो भी पैसा निकाला होगा उसे एडजस्ट करने के बाद बकाया मिल जाएगा। साथ ही 31 मार्च 2025 तक रिटायर होने वाले कर्मचारियों को भी नई पेंशन योजना का फायदा मिलेगा।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Sun, 25 Aug 2024 01:41 PM (IST)
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सरकार के मुताबिक, नई पेंशन स्कीम 99 फीसदी से अधिक कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। लंबे वक्त से ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को बहाल करने की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों को केंद्र सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में कैबिनेट ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) पर अपनी मुहर लगा दी। यह कुछ बदलावों के साथ काफी हद तक पुरानी पेंशन स्कीम की तरह ही है।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम से 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। इसका मकसद कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन की गारंटी देना है। इस सुधार से सरकारी कर्मचारियों के सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा की भावना काफी हद तक बढ़ेगी। यह योजना 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी। राज्य सरकारें भी चाहें, तो इस योजना को लागू कर सकेंगी।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम के फायदे

यह स्कीम केंद्र सरकार के कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन की गारंटी देगी। अगर किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी 25 साल की न्यूनतम सेवा की है, तो उसे रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों के औसत बेसिक सैलरी का 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलेगी। इसका मतलब कि अगर किसी औसत बेसिक सैलरी 50 हजार रुपये रहेगी, तो उसे पेंशन के तौर पर हर महीने 25 हजार रुपये मिलेंगे। अगर किसी सेवा अवधि कम है, तो उसे उसी हिसाब से कम पेंशन मिलेगी। पेंशन के लिए कम से कम 10 साल की सर्विस करनी अनिवार्य रहेगी।

पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन की गारंटी

कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में आश्रित को उस पेंशन का 60 फीसदी मिलेगा, जो कर्मचारी को मृत्यु से पहले मिल रही थी। इसका मतलब कि अगर कोई कर्मचारी 25,000 रुपये की पेंशन पा रहा था, तो उसके निधन के बाद आश्रित को 15,000 रुपये महीना मिलेंगे। इसका मकसद कर्मचारी के आश्रितों को वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराना है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम में न्यूनतम 10 साल की सेवा के बाद 10 हजार रुपये प्रति माह पेंशन का प्रावधान है। इससे उन कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा मिलेगी, जिनका वेतन कम रहेगा।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम के अन्य लाभ

  • सरकार यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत दी जाने वाली तीनों पेंशन को मुद्रास्फीति के हिसाब से एडजस्ट करेगी। इसका मतलब कि महंगाई के हिसाब से सुनिश्चित पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन को बढ़ाया जाएगा।
  • सरकारी कर्मचारियों की पेंशन औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI-IW) पर आधारित होगी, जो सेवारत कर्मचारियों के लिए प्रावधानों के समान है।
  • सरकारी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी के अलावा प्रत्येक पूर्ण छह महीने की सेवा के लिए रिटायरमेंट की तारीख के अनुसार मासिक परिलब्धियों (वेतन + डीए) के 1/10वें हिस्से के बराबर एकमुश्त भुगतान मिलेगा। यह सुनिश्चित पेंशन से पूरी तरह अलग होगा।

UPS से कौन से जुड़ सकता है?

केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में बने रहने या यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में शिफ्ट होने का विकल्प दिया है। रिटायरमेंट के बाद NPS या UPS में विकल्प चुनने का मौका एक ही बार मिलेगा, जिसे बाद में बदला नहीं जा सकेगा। सरकार के मुताबिक, UPS उन सभी लोगों पर लागू होगा, जो 2004 के बाद से NPS के तहत पहले ही रिटायर हो चुके हैं।

NPS से ज्यादा फायदेमंद होगी UPS

सरकार का आकलन है कि मौजूदा केंद्रीय कर्मचारियों में से 99 फीसदी से अधिक के लिए आर्थिक तौर पर NPS से अधिक UPS फायदेमंद होगी। NPS साल 2004 से लागू है। NPS के तहत रिटायर होने वाले कर्मचारियों को भी नई पेंशन सुविधा का लाभ लेने का विकल्प मिलेगा। अगर कर्मचारी इस विकल्प को चुनते हैं, तो जो अतिरिक्त रकम और उसका ब्याज बनेगा, उसका भुगतान केंद्र सरकार करेगी।

OPS, NPS और UPS में अंतर

ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की बात करें, तो इसमें कर्मचारी को आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर मिलता था। कर्मचारी को अलग से कोई योगदान नहीं देना पड़ता था। इसमें सिर्फ सरकारी कर्मचारी शामिल थे। डियरनेस रिलीफ (डीआर) का भी प्रावधान था। इसका मतलब कि हर छह महीने में महंगाई के हिसाब से पेंशन बढ़ जाती थी। कर्मचारियों को 50 फीसदी पेंशन के लिए 20 साल की सेवा पूरी करनी पड़ती थी।

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश के आधार पर पेंशन मिलती है। यह सरकारी-निजी सभी कर्मचारियों के लिए है। इसमें सरकारी कर्मचारी 10 फीसदी और सरकार 14 फीसदी योगदान देती है। एनपीएस के पैसों का निवेश होता है, तो इसमें बाजार के फायदे भी शामिल हैं। रिटायरमेंट के वक्त कुल जमा का 60 फीसदी एकमुश्त निकाला जा सकता है। वहीं, 40 फीसदी हिस्सा पेंशन के रूप में मिलता है।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में आखिरी 12 महीने के औसत मूल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलेगा। 10 साल से अधिक और 25 साल से कम सर्विस देने की स्थिति में आनुपातिक रूप से लाभ मिलेगा। इसमें कर्मचारी का योगदान 10 फीसदी और सरकार का 18.5 फीसदी होगा। इस कंट्रीब्यूशन को एनपीएस की तरह बाजार में निवेश नहीं किया जाएगा। इसमें भी ओपीएस की डीआर का प्रावधान रहेगा। एनपीएस वाले कर्मचारी भी इसका हिस्सा बन सकेंगे।

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