पांच साल से शेयर मार्केट में बुल रन, क्या जारी रहेगा तेजी का सिलसिला या अब आएगी गिरावट?
पहले भारतीय शेयर बाजार विदेशी निवेशकों पर हद से अधिक निर्भर रहता था। लेकिन अब यह घरेलू निवेशकों की बदौलत ही उड़ान भर रहा। यही वजह है कि अप्रैल और मई के दौरान जब विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे थे तो उस वक्त भी शेयर मार्केट में कोई खास गिरावट नहीं आई। इसकी बड़ी वजह म्यूचुअल फंड्स और रिटेल इन्वेस्टर हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत का स्टॉक मार्केट (Indian Stock Market) पिछले कुछ साल से जबरदस्त रिटर्न दे रहा है। खासकर, कोरोना महामारी के बाद वाले दौर से। किसी भी निवेश पर 10 फीसदी से अधिक रिटर्न को अच्छा समझा जाता है। लेकिन, साल 2024 की पहली छमाही में निफ्टी निवेशकों को 20 फीसदी का मुनाफा दे चुका है। इसने पिछले साल भी 10.4 फीसदी का रिटर्न दिया था। अगर निफ्टी 50 की बात करें, तो पिछले पांच साल में सिर्फ 2023 को छोड़कर इसने हमेशा 12 से 24 फीसदी के बीच का रिटर्न दिया है।
कब शुरू हुआ स्टॉक मार्केट मौजूदा बुल रन?
बुल मार्केट या बुल रन का मतलब शेयर मार्केट में ऐसे दौर से होता है, जब अधिक निवेशक स्टॉक खरीद रहे होते हैं, उनका बेचने पर ज्यादा जोर नहीं होता। इस दौरान डिमांड जो है, वह सप्लाई से अधिक हो जाती है। निवेशकों का भरोसा सातवें आसमान पर होता है। इन सब फैक्टर से जाहिर तौर पर मार्केट रिकॉर्ड तेजी दर्ज की जाएगी। भारतीय शेयर मार्केट में मौजूदा बुल रन कोरोना महामारी के बाद मार्च 2020 में शुरू हुआ।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज में चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटिजिस्ट डॉ वीके विजयकुमार का कहना है, 'कोविड क्रैश के वक्त निफ्टी 7,511 के स्तर पर था। वहां से शुरू हुए बुल मार्केट की एक बड़ी खासियत यह भी है कि इसमें कोई बड़ा करेक्शन नहीं हुआ। निफ्टी में इकलौता 5 फीसदी से अधिक का करेक्शन 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन हुआ। लेकिन, अगले ही इसमें जबरदस्त रिकवरी भी हो गई।'
स्टॉक मार्केट में तेजी की वजह क्या है?
भारतीय शेयर मार्केट में तेजी की कई वजहें हैं। जैसे कि भारत की इकोनॉमी तेजी से बूम कर रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग समेत अधिकतर सेक्टर उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां तक कि पिछले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ 8.2 फीसदी रही, जो तमाम अर्थशास्त्रियों और ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों के अनुमान से कहीं ज्यादा बेहतर है। इन सारे फैक्टर का असर शेयर मार्केट पर भी दिख रहा है।
पहले भारतीय शेयर बाजार विदेशी निवेशकों पर हद से अधिक निर्भर रहता था। लेकिन, अब यह घरेलू निवेशकों की बदौलत ही उड़ान भर रहा। यही वजह है कि अप्रैल और मई के दौरान जब विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे थे, तो उस वक्त भी शेयर मार्केट में कोई खास गिरावट नहीं आई। यह अपने उच्च स्तर के आसपास ही है, क्योंकि म्यूचुअल फंड्स के साथ खुदरा निवेशक भी 'Buying in Dips' यानी शेयर गिरने वाली रणनीति पर अमल कर रहे हैं।