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Quick Commerce: पूरी दुनिया में फेल, भारत में कैसे सफल हुए 10 मिनट में सामान पहुंचाने वाले ब्लिंकिट-जेप्टो जैसे प्लेटफॉर्म?

भारत में क्विक कॉमर्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। खासकर नौजवान उपभोक्ताओं के बीच इनकी लोकप्रियता एक अलग ही लेवल पर पहुंच गई है। वे अपनी जरूरत का हर छोटा-बड़ा सामान यहां से मंगा रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि क्विक कॉमर्स दुनिया के बाकी देशों में ज्यादा सफल नहीं रहा। लेकिन भारत में इसकी कामयाबी मिसाल बन गई है। आइए जानते हैं इसकी वजह।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Sat, 25 May 2024 11:17 AM (IST)
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क्विक कॉमर्स मार्केट 2.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। आपका ऑफिस जाने से पहले ब्रेड के साथ चाय पीने का मन है। किचन पहुंचे, तो देखा कि चायपत्ती और ब्रेड दोनों खत्म। आपने फोन निकाला और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ऑर्डर प्लेस करके बाथरूम में नहाने चले गए।

आपके नहाकर निकलने से पहले ही दरवाजे पर दस्तक हो सकती है, सर... आपका ऑर्डर।

यह जादू है क्विक कॉमर्स का। इसमें आपकी जरूरत का सामान काफी कम समय में आपके पास पहुंच जाता है। अमूमन आधे घंटे से पहले। इस सर्विस ने शहरी डिजिटल उपभोक्ताओं के बीच अपनी गहरी पैठ बना ली है, उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। अब क्विक कॉमर्स कंपनियों की नजर छोटे शहरों औ कस्बों में रहने वाले उपभोक्ताओं पर है।

क्विक कॉमर्स की बड़ी कंपनियां?

फिलहाल क्विक कॉमर्स सेगमेंट में तीन बड़े खिलाड़ी हैं। जोमैटो का ब्लिंकइट, स्विगी का इंस्टामार्ट और जेप्टो। ये सभी एकदूसरे से आगे निकलने की होड़ में हैं, क्योंकि अभी इनके मार्केट शेयर में कोई बड़ा अंतर नहीं है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस ने इंडस्ट्री एक्सपर्ट के हवाले से बताया कि क्विक ग्रॉसरी कॉमर्स के दुनिया के अन्य देशों में काफी कम सफल रहे, लेकिन भारत में वे कामयाबी की नई इबारत लिख रहे हैं।

हालांकि, पाकिस्तान में क्विक कॉमर्स कुछ हद तक सफल रहा। वहां किराने के सामान की इंस्टैंट डिलीवरी करने वाला एयरलिफ्ट एक्सप्रेस देश का पहला यूनिकॉर्न बनने की भी कगार था। लेकिन, वह भी जल्द ही बर्बाद हो गया।

भारत में क्यों सफल हुए क्विक कॉमर्स?

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जनसंख्या घनत्व काफी अधिक है। साथ ही, गली-गली में किराना स्टोरों की भी भरमार है। ऐसे में ब्लिंकइट और जेप्टो जैसी कंपनियों को काफी कम लागत में अपनी सेवाएं उपलब्ध कराने का मौका मिल जाता है।

युवा पीढ़ी (GenZ) हर रोज अपने जरूरत का सामान ऑनलाइन मंगा रही है। शुरुआत में ये प्लेटफॉर्म सिर्फ किराने का सामान डिलीवर करते थे। लेकिन, जल्द ही अपना दायरा सभी सेगमेंट तक फैला लिया। इसमें आटा-दाल से लेकर सब्जियां और साबुन-शैंपू के साथ शेविंग प्रोडक्ट्स तक शामिल हैं।

ग्राहक को क्विक कॉमर्स से सामान मंगाने में सहूलियत हो रही है। यहां कई बार मार्केट रेट से कम में चीजें मिल जाती हैं। आपको मार्केट भी जाना पड़ता। इससे आपका वक्त बचता है और आपको सामान भी अपने दरवाजे पर मिल जाता है।

क्विक कॉमर्स की बढ़ती वैल्यू

ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो ने इंस्टैंट ग्रोसरी डिलीवरी करने वाली ब्लिंकइट (Zomato-Blinkit Deal) को 2022 में करीब साढ़े 4 हजार करोड़ रुपये में खरीद था, जो पहले ग्रोफर्स के नाम से जाना जाता था। प्रतिष्ठित ब्रोकरेज गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक, जोमैटो की कुल कमाई में उसके फूड डिलीवरी बिजनेस का कम, क्विक कॉमर्स की हिस्सेदारी अधिक है।

ब्लिंकइट के पास हाई SKU(स्टॉक कीपिंग यूनिट) की उपलब्धता है। उसका ऑर्डर फुलफिलमेंट रेट भी बेहतर है। उसके पास ग्राहकों का ज्यादा डेटा भी है। अपनी शानदार सर्विस की बदौलत उसका एवरेज ऑर्डर वैल्यू (AOV) इंडस्ट्री में सबसे अधिक है। इससे जोमैटो को अपना मुनाफा बढ़ाने में भी मदद मिली है।

डार्क स्टोर बढ़ा रहीं कंपनियां

क्विक कॉमर्स कंपनियां अपने डार्क स्टोर की संख्या लगातार बढ़ा रही हैं। डार्क स्टोर दरअसल कंपनियों के गोदाम की तरह होते हैं। यहां कंपनियां अपने प्रोडक्ट को स्टोर करती हैं, लेकिन आप यहां सीधे जाकर खरीदारी नहीं कर सकते। आपको ऑनलाइन ही ऑर्डर प्लेस करना होगा। फिर कंपनी उसकी डिलीवरी आपके बताए पते पर कर देगी।

कितना बड़ा है क्विक कॉमर्स मार्केट?

मार्केट इंटेलिजेंस फर्म रेडसीर की रिपोर्ट बताती है कि भारत का क्विक कॉमर्स मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। यह पिछले साल ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) के मामले में सालाना आधार पर 77 फीसदी बढ़कर 2.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

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