Quick Commerce: पूरी दुनिया में फेल, भारत में कैसे सफल हुए 10 मिनट में सामान पहुंचाने वाले ब्लिंकिट-जेप्टो जैसे प्लेटफॉर्म?
भारत में क्विक कॉमर्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। खासकर नौजवान उपभोक्ताओं के बीच इनकी लोकप्रियता एक अलग ही लेवल पर पहुंच गई है। वे अपनी जरूरत का हर छोटा-बड़ा सामान यहां से मंगा रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि क्विक कॉमर्स दुनिया के बाकी देशों में ज्यादा सफल नहीं रहा। लेकिन भारत में इसकी कामयाबी मिसाल बन गई है। आइए जानते हैं इसकी वजह।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। आपका ऑफिस जाने से पहले ब्रेड के साथ चाय पीने का मन है। किचन पहुंचे, तो देखा कि चायपत्ती और ब्रेड दोनों खत्म। आपने फोन निकाला और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ऑर्डर प्लेस करके बाथरूम में नहाने चले गए।
आपके नहाकर निकलने से पहले ही दरवाजे पर दस्तक हो सकती है, सर... आपका ऑर्डर।यह जादू है क्विक कॉमर्स का। इसमें आपकी जरूरत का सामान काफी कम समय में आपके पास पहुंच जाता है। अमूमन आधे घंटे से पहले। इस सर्विस ने शहरी डिजिटल उपभोक्ताओं के बीच अपनी गहरी पैठ बना ली है, उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। अब क्विक कॉमर्स कंपनियों की नजर छोटे शहरों औ कस्बों में रहने वाले उपभोक्ताओं पर है।
क्विक कॉमर्स की बड़ी कंपनियां?
फिलहाल क्विक कॉमर्स सेगमेंट में तीन बड़े खिलाड़ी हैं। जोमैटो का ब्लिंकइट, स्विगी का इंस्टामार्ट और जेप्टो। ये सभी एकदूसरे से आगे निकलने की होड़ में हैं, क्योंकि अभी इनके मार्केट शेयर में कोई बड़ा अंतर नहीं है।समाचार एजेंसी आईएएनएस ने इंडस्ट्री एक्सपर्ट के हवाले से बताया कि क्विक ग्रॉसरी कॉमर्स के दुनिया के अन्य देशों में काफी कम सफल रहे, लेकिन भारत में वे कामयाबी की नई इबारत लिख रहे हैं।हालांकि, पाकिस्तान में क्विक कॉमर्स कुछ हद तक सफल रहा। वहां किराने के सामान की इंस्टैंट डिलीवरी करने वाला एयरलिफ्ट एक्सप्रेस देश का पहला यूनिकॉर्न बनने की भी कगार था। लेकिन, वह भी जल्द ही बर्बाद हो गया।