धीरूभाई अंबानी ने देखा था पोस्टकार्ड से सस्ती कॉल का सपना, जियो ने उसे कैसे किया साकार?
आज फोन कॉल काफी सस्ती हो गई है। अगर सिर्फ फोन कॉल की बात करें तो इसे तकरीबन आप मुफ्त ही कह सकते हैं। लेकिन एक समय था जब लोगों को इनकमिंग कॉल के लिए भी पैसे देने पड़ते थे। रिलायंस इंडस्ट्रीज के फाउंडर धीरूभाई ने पोस्ट कार्ड से भी सस्ती कॉल का सपना देखा था जिसे पूरा किया उनके बड़े बेटे मुकेश अंबानी ने रिलायंस जियो के साथ।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। आज एक फोन कॉल के कितने रुपये लगते हैं? इस जवाब के लिए आपका दिमाग पर जोर डालना बताता है कि अब भारत में फोन कॉल कितनी सस्ती हो चुकी हो है। तकरीबन मुफ्त ही कह सकते हैं। और इसका काफी हद श्रेय जाता है रिलायंस इंडस्ट्रीज की जियो इंफोकॉम को।
कॉल रेट को इतना सस्ता करने का सपना देखा था, रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के फाउंडर धीरूभाई अंबानी ने। वह चाहते थे कि भारत के लोग पोस्ट कॉर्ड से भी कम कीमत में कॉल करें। यह वो जमाना था, जब इनकमिंग कॉल के भी पैसे देने पड़ते थे।
रिलायंस कम्युनिकेशंस की शुरुआत
साल 2002 में धीरूभाई अंबानी के 'कर लो दुनिया मुट्ठी में' नारे के साथ रिलायंस टेलिकॉम सेक्टर में उतरी। उस समय दूरसंचार क्षेत्र में BSNL और एयरटेल जैसी कंपनियों का दबदबा था। लेकिन, रिलायंस कम्युनिकेशंस (Reliance Communications या RCom) ने सिर्फ 600 रुपये का फोन और 15 पैसे की कॉल रेट देकर तहलका मचा दिया।
हालांकि, धीरूभाई अंबानी के इंतकाल के बाद रिलायंस ग्रुप का उनके दोनों बेटों- मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच बंटवारा हो गया। मुकेश की टेलिकॉम सेक्टर में काफी दिलचस्पी थी, लेकिन 2006 में रिलायंस ग्रुप के बंटवारे में RCom धीरूभाई के छोटे बेटे अनिल के हिस्से आई।
उस वक्त भारत का टेलीकॉम सेक्टर काफी तेजी से बदल रहा था। वोडाफोन जैसी विदेशी कंपनी भी सस्ते प्लान के साथ इंडियन मार्केट में उतर गई थी। वहीं, रिलायंस का कस्टमर बेस मुख्यत: CDMA था। मतलब कि आप सिर्फ RCom में ही इसका सिम चला सकते हैं। और कॉल रेट भी सेम नेटवर्क ही सस्ता पड़ता था।