Exclusive: Crude Oil की बढ़ती कीमतों का आम जनता पर क्या होगा असर और मौजूदा माहौल में क्या हो निवेश की नीति, जानें विशेषज्ञ की राय
Russia-Ukraine War की वजह से पिछले कुछ हफ्तों से शेयर बाजार में उथल-पुथल का माहौल है। Crude Oil की कीमतें भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में आसमान छूती नजर आईं। इसका महंगाई पर क्या असर होगा और मौजूदा हालात में निवेश नीति क्या हो इस पर जानें विशेषज्ञ की राय।
By Manish MishraEdited By: Updated: Fri, 11 Mar 2022 07:49 AM (IST)
नई दिल्ली, मनीश कुमार मिश्र। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से दुनिया भर के शेयर बाजारों में उथल-पुथल का माहौल है। इसी दौरान कच्चे तेल के दाम भी आसमान छूते नजर आए। शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए निवेशकों की क्या हो इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी और कच्चे तेल के दाम में बढ़ोत्तरी का महंगाई पर किस प्रकार असर पड़ेगा, इस संदर्भ में PGIM India Mutual Fund के हेड-इक्विटीज, अनिरुद्ध नाहा ने विस्तार से बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश:
सवालः कच्चा तेल 130 डॉलर के पार चला गया है। भारत में महंगाई पर इसका क्या असर होगा? कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी से किन क्षेत्रों को लाभ मिलेगा?जवाबः भारत के आयात बिल में सबसे ज्यादा योगदान करने वालों में कच्चा तेल एक है। महंगे क्रूड का देश पर व्यापक असर होता है। इससे न सिर्फ महंगाई बढ़ती है, बल्कि व्यापार घाटा और राजकोषीय घाटा भी बढ़ता है। महंगा कच्चा तेल कुछ क्षेत्रों के मुनाफे और लाभप्रदता पर असर डाल सकता है, जो क्रूड और क्रूड डेरिवेटिव्स के कच्चे माल से जुड़े हुए हैं। कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही के दौरान इक्विटी बाजारों में हमें सावधान रहने की जरूरत है और कच्चे तेल की ऊंची कीमत इस दृष्टिकोण को बल देती है।
सवालः अब इक्विटी निवेशक को क्या करना चाहिए? क्या उसे नकदी रखना चाहिए या सामान्य तरह से निवेश जारी रखना चाहिए? इस कैलेंडर वर्ष में कौन से सेक्टर बेहतर नजर आ रहे हैं?जवाबः निवेशकों को अपनी संपत्ति आवंटन रणनीति समझने और उपलब्ध नकदी को लंबी अवधि के हिसाब से निवेश करने की जरूरत है। बाजारों में जोरदार गिरावट देखी गई है, खासकर मिडकैप और स्मालकैप में। हम सेक्टर के हिसाब से सूचना तकनीक (आईटी) को पसंद करना जारी रखेंगे, जहां मोटी कमाई नजर आ रही है और मूल्यांकन में अच्छा करेक्शन हुआ है। तकनीक की बढ़ी हुई स्वीकार्यतता और इसे लागू करने से इस सेक्टर में टिकाऊ वृद्धि देखी जा सकती है। मांग बहाल होने के साथ डिलिवरेज्ड बैलेंस शीट औद्योगिक वस्तुओं के लिए बेहतर संकेत होगा और हम इस सेक्टर को पसंद करना जारी रखेंगे। लंबी गिरावट के बाद रियल एस्टेट का पुनरुद्धार शुरू हो चुका है और यह निकट भविष्य में बना रह सकता है। रियल एस्टेट का पुनरुद्धार आवास निर्माण क्षेत्र के लिए भी सकारात्मक है। आखिरकार, कच्चे तेल में एक बार स्थिरता आने और अपने उच्च स्तर से नीचे आने के बाद हमारा मानना है कि खासकर ऑटो और ऑटो एंसिलरी कंपनियों में अगले 3 साल तक बेहतरीन वृद्धि दर्ज होगी।
सवालः पहले के उच्च स्तर को हासिल करने और उसके आगे बढ़ने में शेयर बाजार को कितना वक्त लगेगा? भारतीय शेयर बाजार को संचालित करने वाले प्रमुख कारक क्या होंगे?जवाबः निवेशकों ने पहले भी प्रतिकूल स्थितियां देखी हैं और कंपनियों की वृद्धि और मुनाफे के आधार पर हमेशा वापसी हुई है। हालांकि निकट अवधि के हिसाब से देखें तो कच्चे तेल के उच्च दाम के कारण थोड़ी चुनौती है, लेकिन भारत ने जीएसटी लागू करने, कॉर्पोरेट कर कम करने जैसे ढांचागत कदम उठाए हैं, जो कॉर्पोरेट्स के लिए शुभ संकेत है। कॉर्पोरेट इंडिया अभी अंडरलिवरेज्ड है और मांग बहाल होने और कम ब्याज दरों के परिदृश्य में लंबे समय बाद कॉर्पोरेट पूंजी व्यय की वापसी हो सकती है। भारत की कंपनियां अगले 3 से 5 साल तक तार्किक रूप से बेहतर कर सकती हैं, क्योंकि मांग बहाल होने से बिक्री बढ़ेगी और इससे मुनाफा बढ़ेगा। मौजूदा अनिश्चितता के दौर में निवेशकों के लिए एक अवसर है कि वे 3 से 5 साल के हिसाब से निवेश पर विचार करें।
सवालः चल रहे कैलेंडर वर्ष में आपके हिसाब से निवेशकों को बेहतर मुनाफा देने के लिए कौन सी अवधारणा अहम हो सकती है?जवाबः हमारा मानना है कि चल रहे कैलेंडर वर्ष में आईटी सेक्टर, औद्योगिक वस्तुएं व रियल एस्टेट क्षेत्र निवेशकों को बेहतर मुनाफा देंगे।सवालः भारत के उद्योग जगत के लिए रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का क्या मतलब है? आगे चलकर यह मुनाफे पर कितना असर डाल सकता है?
जवाबः रूस और यूक्रेन दोनों ही सॉफ्ट के साथ साथ हार्ड कमोडिटी और ऊर्जा के निर्यातक हैं। वहीं भारत जिंसों और ऊर्जा का आयातक है। अगर जिंसों व ऊर्जा की आपूर्ति श्रृंखला में किसी भी तरह का व्यवधान आता है तो इससे उनके मूल्य पर दबाव पड़ेगा और कॉर्पोरेट भारत के लिए लागत व अनिश्चितता में वृद्धि होगी। इससे मुनाफे और लाभप्रदता पर असर पड़ेगा और कमाई में उतार चढ़ाव बढ़ेगा। इस तरह से इंडिया इंक को कमाई में उतार चढ़ाव को लेकर तैयार रहना होगा और साथ ही कच्चे माल के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी होगी। भू-राजनीतिक मसला बहुत हाल का है और सभी सेक्टरों के मुनाफे और लाभप्रदता पर सही असर देखना बाकी है, लेकिन यह कहना सही होगा कि निकट अवधि के हिसाब से निश्चित रूप से इसका नकारात्मक असर होगा।
(Aniruddha Naha, Head Equities, PGIM India Mutual Fund)