GST के सात साल: राज्यों का राजस्व बढ़ा, कारोबारियों को सहूलियत हुई, जनता को भी मिला फायदा
GST लागू हुए सात साल हो गए। इस नई कर व्यवस्था का मकसद टैक्स सिस्टम को आसान बनाना और टैक्स चोरी रोकना था। हालांकि इस सिस्टम में अभी भी कुछ खामियां है लेकिन यह अपने मकसद में काफी हद तक सफल नजर आती है। GST ने ना केवल अनुपालन को सरल बनाया बल्कि कर संग्रह में तेज वृद्धि दर्ज की गई। इससे सरकार जनता और कारोबारी सभी को लाभ मिला।
पीटीआई, नई दिल्ली। एक जुलाई, 2024 को जीएसटी लागू हुए सात वर्ष हो गए। इस नई कर व्यवस्था ने ना केवल अनुपालन को सरल बनाया है बल्कि कर संग्रह में तेज वृद्धि दर्ज की गई। इतना ही नहीं राज्यों के राजस्व में तेज वृद्धि हुई है। हालांकि, टैक्स चोरी को रोकने की कोशिश अभी तक पूरी तरह कामयाब नहीं हुई है। फर्जी चालान और फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन भी चुनौती बने हुए हैं। जीएसटी के तहत 17 करों और 13 तरह के उपकरों को पांच स्तरीय टैक्स व्यवस्था में समाहित कर दिया गया। जीएसटी पंजीकरण के लिए टर्नओवर की सीमा वस्तुओं के लिए 40 लाख रुपये और सेवाओं के लिए 20 लाख रुपये है।
जीएसटी से कई वस्तुएं हुईं सस्ती
जीएसटी ने कई आवश्यक वस्तुओं पर करों को जीएसटी से पहले की दरों की तुलना में कम कर दिया है। हेयर ऑयल और साबुन जैसी आम वस्तुओं पर कर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया। बिजली के उपकरणों पर कर 31.5 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। जीएसटी ने कई आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को कर से छूट भी प्रदान की है। इसमें बिना ब्रांड वाले खाद्य पदार्थ, कुछ जीवन रक्षक दवाएं, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, सार्वजनिक परिवहन, सेनिटरी नैपकिन, श्रवण यंत्र के पुर्जे, कृषि सेवाएं आदि।
जीएसटी से क्या-क्या फायदे हुए
सात वर्षों में पंजीकृत करदाताओं की संख्या 2017 के 65 लाख से बढ़कर 1.46 करोड़ हो गई। औसत मासिक जीएसटी संग्रह 2017-18 में लगभग 90,000 करोड़ रुपये था जो 2024-25 में बढ़कर 1.90 लाख करोड़ रुपये हो गया। अगर जीएसटी लागू नहीं होता तो वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक राज्यों का राजस्व 37.5 लाख करोड़ रुपये होता। जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों का वास्तविक राजस्व 46.56 लाख करोड़ रुपये हो गया। जीएसटी ने राज्यों में चल रहे 495 अलग-अलग आवेदनों (चालान, फार्म, घोषणाएं आदि) को घटाकर सिर्फ 12 कर दिया।
करोड़ों की कर चोरी का पता चला
वर्ष 2023 में जीएसटी खुफिया निदेशालय (डीजीजीआई) ने 1.98 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का पता लगाया और सरकारी खजाने को चूना लगाने में शामिल 140 मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया। ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो, बीमा और मैनपावर सेवाओं का आयात जैसे विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण जीएसटी चोरी का पता चला है। जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना से विवाद समाधान प्रक्रिया के तेज होने की उम्मीद है। हालांकि, जीएसटीएटी की मुख्य पीठ और राज्य पीठों का संचालन अभी बाकी है।
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट रंजीत कुमार अग्रवाल का कहना है, 'विभिन्न सरकारी विभागों के 6,800 से अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और क्षमता निर्माण में हमारे प्रयास एक कुशल और पारदर्शी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रहे हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंट के तौर पर हम जीएसटी व्यवसायों का मार्गदर्शन करने, पारदर्शिता की संस्कृति को बढ़ावा देने और भारत के विकास में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'
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