भूल जाएंगे ट्रेन और फ्लाइट, Hyperloop से मिनटों में पूरा होगा सफर, इन शहरों में सबसे पहले मिल सकती है सुविधा
सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही भारत में हाइपरलूप पॉड का सपना साकार हो सकता है। इसके जरिए मिनटों में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा जा सकता है। नीति आयोग के एक सदस्य ने इस संबंध में सरकार का प्लान बताया है।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Fri, 18 Nov 2022 05:42 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने शुक्रवार को कहा कि कुछ विदेशी कंपनियों ने भारत में अल्ट्रा-हाई स्पीड यात्रा के लिए हाइपरलूप तकनीक लाने में रुचि दिखाई है, लेकिन चर्चा अभी शुरुआती चरण में है। सारस्वत भारत में हाइपरलूप की तकनीकी और व्यावसायिक व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए समिति का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समिति ने एक प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की है।
वीके सारस्वत ने कहा कि हमने कुछ कंपनियों के साथ भी बातचीत की है। ये विदेशी कंपनियां हैं, जो पहले से ही हाइपरलूप तकनीक को विकसित कर रही हैं। उन्होंने कहा, 'इन कंपनियों ने भारत में इस तकनीक को लाने में रुचि दिखाई है। चर्चा अभी शुरुआती चरण में है।'
क्या है हाइपरलूप
हाइपरलूप एक हाई-स्पीड ट्रेन की तरह है, जो ट्यूब में चलती है। अरबपति कारोबारी एलन मस्क का इस तकनीक के विकास में अहम योगदान है। इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला और वाणिज्यिक अंतरिक्ष परिवहन कंपनी स्पेसएक्स मालिक मस्क के लिए यह तकनीक कभी ड्रीम प्रोजेक्ट हुआ करती थी। यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से दुनिया में कहीं भी लोगों को या वस्तुओं को तेज गति से सुरक्षित पहुंचाया जा सकेगा। इससे पर्यावरण पर भी कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता।हाइपरलूप में एक 'ट्यूब मॉड्यूलर ट्रांसपोर्ट सिस्टम' का इस्तेमाल किया जाता है। यह सिस्टम एक यात्री या कार्गो को एयरलाइन की गति से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाता है। इसकी गति 760 मील प्रति घंटा तक हो सकती है।
कब हुआ था दुनिया का पहला हाइपरलूप टेस्ट
वर्जिन हाइपरलूप टेस्ट रन 9 नवंबर, 2020 को अमेरिका के लास वेगास में 500 मीटर के ट्रैक पर पॉड के साथ आयोजित किया गया था। हाइपरलूप वाहनों को पॉड कहा जाता है। इसकी पहली यात्रा में एक भारतीय सहित कुछ अन्य यात्री भी शामिल थे। इसने 100 मील प्रति घंटे या 161 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार पर अपनी यात्रा पूरी की।