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Steel Sector में ग्रोथ को लेकर ICRA ने बदला अपना अनुमान, संशोधित कर किया 10 प्रतिशत

घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने उच्च सरकारी पूंजीगत व्यय के कारण इस वित्तीय वर्ष में घरेलू इस्पात उद्योग की वृद्धि के अपने पूर्वानुमान को आज संशोधित कर 9-10 प्रतिशत कर दिया। ICRA ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 की शुरुआत में इस सेक्टर में स्टील इंडस्ट्री की ग्रोथ करीब 7-8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। पढ़िए क्या है पूरी खबर।

By AgencyEdited By: Gaurav KumarUpdated: Wed, 13 Sep 2023 08:17 PM (IST)
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शुरुआत में उद्योग में स्टील की वृद्धि 7-8 प्रतिशत के दायरे में होने का अनुमान लगाया था।

नई दिल्ली, एजेंसी: रेटिंग एजेंसी इक्रा (Icra) ने मजबूत सरकारी पूंजीगत व्यय के कारण आज घरेलू इस्पात उद्योग (Steel Industry) के लिए इस वित्तीय वर्ष में अपने विकास अनुमान को संशोधित कर 9-10 प्रतिशत कर दिया।

आपको बता दें कि इक्रा ने पहले चालू वित्त वर्ष 2023-24 की शुरुआत में उद्योग में स्टील की वृद्धि 7-8 प्रतिशत के दायरे में होने का अनुमान लगाया था।

इस वजह से बढ़ रही है डिमांड

इक्रा ने बताया कि सरकार के बुनियादी ढांचे में विकास मॉडल के कारण घरेलू इस्पात की मांग वित्त वर्ष 2022 से दोहरे अंकों में बढ़ रही है, और यह गति चालू वित्त वर्ष में भी जारी है।

इस वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच में अब तक स्टील की मांग में 13.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। समाचार एजेंसी पीटीआई को इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और कॉरपोरेट सेक्टर रेटिंग्स के समूह प्रमुख जयंत रॉय ने कहा कि

चालू वित्त वर्ष में लगभग 14.3 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) नई इस्पात निर्माण क्षमता चालू होने की उम्मीद है। यह हाल के दिनों में किसी एक वर्ष में उद्योग द्वारा किया गया सबसे बड़ा क्षमता विस्तार होगा। वित्त वर्ष 2025 में भी उद्योग की आपूर्ति पाइपलाइन मजबूत रहने की उम्मीद है, जब अनुमानित 12.3 एमटीपीए क्षमताएं कमीशनिंग के लिए तैयार होंगी।

घरेलू मोर्चे पर परिचालन माहौल सहायक

इक्रा ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर परिचालन माहौल सहायक बना हुआ है, लेकिन उद्योग को बाहरी माहौल में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

इनमें चीनी आवास बाजार का मंदी, देश की इस्पात मांग को चलाने वाला एक प्रमुख इंजन और पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में निम्न आर्थिक विकास की संभावनाएं शामिल हैं।

इक्रा ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में, एक ओर जहां घरेलू मिलों के लिए निर्यात के अवसर कमजोर रहे, वहीं दूसरी ओर, वैश्विक इस्पात व्यापार प्रवाह भारत जैसे उच्च विकास वाले बाजारों की ओर मोड़ दिए जाने के कारण इस्पात आयात बढ़ने लगा।