पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 3 रुपये तक कटौती की गुंजाइश, कब तोहफा देगी सरकार?
पिछले काफी समय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। ऐसे में उम्मीद बढ़ रही है कि सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम में कमी करके आम जनता को भी राहत दे सकती है। पिछले महीने पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने संकेत भी दिया था कि अगर कच्चे तेल के दाम गिरावट के बाद स्थिर रहते हैं तो पेट्रोल-डीजल का रेट कम हो सकता है।
एजेंसी, नई दिल्ली। क्रूड ऑयल में नरमी के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की उम्मीद बढ़ गई है। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) का कहना है कि हाल के हफ्तों में कच्चे तेल की कीमतों में कमी से खुदरा ऑटो फ्यूल पर मार्जिन में सुधार हुआ है। इससे सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2-3 रुपये प्रति लीटर की कटौती करने की गुंजाइश मिली है।
भारत ने सितंबर में जो कच्चा तेल आयात किया, उसके एक बास्केट की कीमत औसतन 74 डॉलर प्रति बैरल थी। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आखिरी बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी। उस वक्त कच्चा तेल लगभग 83-84 डॉलर प्रति बैरल के आसपास था।
तेल कंपनियों के मुनाफे में सुधार से बढ़ी उम्मीद
इक्रा ने एक नोट में कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी के साथ हाल के हफ्तों में भारतीय ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) के लिए ऑटो फ्यूल की खुदरा बिक्री पर मार्केटिंग मार्जिन में सुधार हुआ है। रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा स्तरों पर स्थिर रहती हैं, तो खुदरा ईंधन की कीमतों में कमी की गुंजाइश है।
पिछले कुछ महीनों में कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट देखी गई है। इसकी बड़ी वजह कमजोर वैश्विक आर्थिक विकास और उच्च अमेरिकी उत्पादन है। साथ ही, ओपेक+ ने गिरती कीमतों से निपटने के लिए अपने उत्पादन में कटौती को दो महीने के लिए वापस ले लिया है। कच्चे तेल को रिफाइनरी में पेट्रोल और डीजल में बदला जाता है।
पेट्रोल-डीजल सरकारी कंपनियों के जिम्मे
कच्चे तेल की कीमत में गिरावट ने पेट्रोल और डीजल की दरों में कमी की उम्मीदों को फिर से जगा दिया था, जो मार्च में चुनाव से पहले की कटौती को छोड़कर दो साल से अधिक समय से स्थिर थी। पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर नियंत्रण हटा दिया गया है। इसका मतलब कि तेल कंपनियों के पास रिटेल प्राइस करने की आजादी है।हालांकि, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) जैसी सरकारी तेल कंपनियों ने लागत के अनुरूप कीमतों में संशोधन न करके 2021 के अंत से शायद ही कभी इस स्वतंत्रता का उपयोग किया हो। उन्होंने नवंबर 2021 की शुरुआत में दैनिक मूल्य संशोधन बंद कर दिया, जब देश भर में दरें उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं।