IDBI Bank privatization: निजीकरण के बाद फैसलों के आड़े नहीं आएगी सरकार, किसी प्रस्ताव का नहीं होगा विरोध
IDBI Bank privatization आईडीबीआई के निजीकरण के बाद सरकार नए प्रमोटर्स द्वारा लिए गए फैसलों का विरोध नहीं करेगी। इस बारे में निवेशकों की चिंताओं का समाधान करते हुए एक अधिकारी द्वारा यह बात साफ कर दी गई है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। IDBI Bank के निजीकरण के बाद भी उसमें सरकार और राज्य के स्वामित्व वाली बीमा कंपनी एलआईसी की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी बनी रहेगी। लेकिन आईडीबीआई के निजीकरण के बाद लाए गए किसी प्रस्ताव का सरकार विरोध नहीं करेगी। आईडीबीआई के नए मैनजमेंट को अपने काम में पर्याप्त छूट मिलेगी। एक अधिकारी ने इस बारे में उठ रही शंकाओं का जवाब देते हुए ये जानकारी दी।
सरकार ने इस महीने की शुरुआत में आईडीबीआई बैंक में 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं। आपको बता दें कि सरकार के पास आईडीबीआई की 45.48 प्रतिशत और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के पास 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शुक्रवार को 44.30 रुपये के बंद भाव पर आईडीबीआई बैंक का मूल्य 47,633 करोड़ रुपये है। मौजूदा मूल्य पर करीब 61 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को 29,000 करोड़ रुपये हासिल होंगे।
सरकार की वीटो की मंशा नहीं
निजीकरण के बाद सरकार और एलआईसी की शेयरधारिता घटकर 34 फीसदी रह जाएगी। उसके बाद नए प्रमोटर द्वारा प्रस्तावित किसी विशेष प्रस्ताव को रोकने की कोशिश नहीं करेगी। यह उपाय निवेशकों की चिंताओं को दूर करने के लिए किया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि निजीकरण के बाद बैंक में सरकार और एलआइसी की हिस्सेदारी घटकर 34 प्रतिशत रह जाएगी। नए प्रमोटर द्वारा लाए जाने वाले किसी प्रस्ताव पर वीटो करने की कोई मंशा नहीं है।
निवेशकों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास
एक अधिकारी ने इस बारे में निवेशकों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। हम केवल 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी ही नहीं बेच रहे हैं, बल्कि प्रबंधन नियंत्रण भी सौंपेंगे। निवेशकों को इस बात का पता होना चाहिए कि इस संस्थान का नियंत्रण अपने पास रखने में हमारी दिलचस्पी नहीं है और हम किसी प्रस्ताव का विरोध नहीं करेंगे। अधिकारी ने कहा कि आइडीबीआइ बैंक के पात्र बोलीदाताओं को वित्तीय निविदाओं के स्तर पर इस बारे में आश्वासन दिया जाएगा।