Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में तनाव लंबा चला तो प्रभावित हो सकता है व्यापार
भारत और बांग्लादेश के बीच 13 अरब डॉलर का कारोबार होता है। वित्त वर्ष 2024 में भारत ने बांग्लादेश को 11.1 अरब डॉलर का निर्यात किया तो 1.8 अरब डॉलर का वहां से आयात किया। लेदर आइटम के सबसे बड़े निर्यातक फरीदा समूह के चेयरमैन रफीक अहमद ने बताया कि उनकी एक यूनिट ढाका के पास है। बांग्लादेश के जीडीपी में टेक्सटाइल सेक्टर का योगदान 20 प्रतिशत से अधिक है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय निर्यातकों का कहना है कि बांग्लादेश में तनाव का माहौल लंबे समय तक जारी रहता है, तो निश्चित रूप से उनका निर्यात कुछ प्रभावित होगा। अभी वे बांग्लादेश की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और वहां के कारोबारियों से संपर्क की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे अपने बकाए का भुगतान हासिल कर सके।
तनाव लंबे समय तक जारी रहने पर भारत के गारमेंट निर्यातकों को फायदा हो सकता है, क्योंकि बांग्लादेश से गारमेंट मंगाने वाले देश अन्य देशों से अपनी मांग की पूर्ति करेंगे और कुछ आर्डर भारत के हिस्से में भी आ सकता है।
यह भी पढ़ें- Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में अस्थिरता से भारत सहित अन्य देशों के आयात-निर्यात पर होगा असर
13 अरब डॉलर का होता है कारोबार
भारत और बांग्लादेश के बीच 13 अरब डॉलर का कारोबार होता है। वित्त वर्ष 2024 में भारत ने बांग्लादेश को 11.1 अरब डॉलर का निर्यात किया, तो 1.8 अरब डॉलर का वहां से आयात किया। भारत बांग्लादेश को प्याज समेत कई प्रकार की खाद्य वस्तु, कॉटन, यार्न, फैबरिक, मशीनरी का निर्यात करता है, जबकि बांग्लादेश से मुख्य रूप से गारमेंट का आयात किया जाता है।
कृषि उत्पाद की मांग दुनिया भर में हैं। इसलिए बांग्लादेश का निर्यात बंद होने पर भी जल्द ही उन उत्पादों के लिए नए बाजार मिल जाएंगे।
गारमेंट व लेदर आइटम की फैक्ट्रियां बंद
लेदर आइटम के सबसे बड़े निर्यातक फरीदा समूह के चेयरमैन रफीक अहमद ने बताया कि उनकी एक यूनिट ढाका के पास भी है और लंबे समय तक बांग्लादेश में तनाव जारी रहा, तो वे भारत स्थित अपनी यूनिट से वहां की यूनिट के आर्डर की पूर्ति करेंगे।
बांग्लादेश में आरक्षण आंदोलन की शुरुआत में 10 दिनों तक उनकी यूनिट बंद थी, लेकिन फिर खुल गई थी और अब फिर से कुछ दिनों से बंद है। उन्होंने बताया कि आगामी शुक्रवार के बाद वहां हालात सामान्य हो सकते है। वहां की सरकार काफी दिनों तक गारमेंट व लेदर आइटम की फैक्ट्रियां बंद नहीं रख सकती है।
बांग्लादेश के जीडीपी में टेक्सटाइल सेक्टर का सबसे ज्यादा योगदान
बांग्लादेश के जीडीपी में टेक्सटाइल सेक्टर का योगदान 20 प्रतिशत से अधिक है। अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (AEPS) के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने बताया कि भारतीय गारमेंट निर्यातक हमेशा ही अपने उत्पाद की गुणवत्ता के दम पर निर्यात आर्डर हासिल करना चाहते हैं, लेकिन यह सही है कि बांग्लादेश में तनाव कुछ समय तक जारी रहने पर शार्ट टर्म में गारमेंट निर्यात के कुछ आर्डर भारत के पास आ सकते हैं।
कनफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज (CITI) की महासचिव चंद्रिमा चटर्जी के मुताबिक कई भारतीय टेक्सटाइल कंपनियों की यूनिट बांग्लादेश में हैं और वहां जारी तनाव से उनकी चिंता बढ़ गई है।
प्रोडक्शन भी है सस्ता
बांग्लादेश में यॉर्न और फैब्रिक सप्लाई करने वाले भारतीय निर्यातक भी हालात पर लगातार नजर रख रहे हैं। बांग्लादेश में भारतीय कंपनियां या दुनिया के अन्य गारमेंट ब्रांड इसलिए यूनिट लगाती है, क्योंकि अति पिछड़े देश की श्रेणी में आने की वजह से बांग्लादेश से होने वाले निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
दूसरा, बांग्लादेश में श्रमिक अन्य देशों की तुलना में सस्ते हैं। इसलिए बांग्लादेश से गारमेंट निर्यात की लागत काफी कम हो जाती है। तभी भारत से तीन गुना अधिक बांग्लादेश गारमेंट निर्यात कर पाता है।
यह भी पढ़ें- तीन दिन की गिरावट में निवेशकों के 22 लाख करोड़ खाक, अब शेयर मार्केट में आगे क्या?