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Credit या Debit Card फ्रॉड के हुए हैं शिकार तो वक्त रहते उठाएं ये कदम, नहीं होगा अकाउंट खाली

ऑनलाइन फ्रॉड होने के बाद हर किसी का घबराना स्वाभाविक है। लेकिन आपको घबरा कर नहीं बल्कि सोच समझकर फैसला लेना चाहिए। आज हम आपको बताएंगे की आपके साथ अगर डिजिटल फ्रॉड हुआ है तो आपको क्या करना चाहिए।

By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Sat, 10 Jun 2023 11:40 PM (IST)
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If you have become a victim of credit or debit card fraud, then take this step
नई दिल्ली,बिजनेस डेस्क: डिजिटल ट्रांजेक्शन में आई बढ़ोतरी के साथ-साथ ऑनलाइन फ्रॉड के केस भी काफी तेज से बढ़े हैं। डिजिटल फ्रॉड में अकसर लोगों को वित्तीय नुकसान ही होता है। इसलिए इस तरह के फ्रॉड को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

डिजिटल फ्रॉड, ऑनलाइन लेन-देन, ई-मेल स्पूफिंग, फिशिंग के कारण हो सकता है या कार्ड की क्लोनिंग से भी हो सकता है। वित्तीय नुकसान होने की वजह से हम अकसर घबरा जाते हैं और उस वक्त जो काम हमें करना चाहिए वो हम घबराहट की वजह से भूल जाते हैं। आज हम आपको बताएंगे की फ्रॉड होने के बाद आप क्या कर सकते हैं।

क्रेडिट और डेबिट कार्ड फ्रॉड होने पर क्या करें?

जैसे ही आपको पता चले कि आपके साथ क्रेडिट/डेबिट कार्ड से कोई संदिग्ध लेन-देन हुआ है तो आप तुरंत अपने बैंक को सूचित करें और औपचारिक शिकायत दर्ज करवाएं। इसके अलावा आप बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर कॉल कर अपने कार्ड को ब्लॉक करवा दें।

कैसे दर्ज करें शिकायत?

आप अपने बैंक में लिखित शिकायत दर्ज करवा सकते हैं लेकिन उससे पहले आप अपने साथ अपने बैंक के पिछले छह महीनों का बैंक स्टेटमेंट, कथित लेन-देन से संबंधित प्राप्त एसएमएस की कॉपी, बैंक रिकॉर्ड में दिखाए गए अनुसार अपने आईडी प्रूफ और एड्रेस प्रूफ की कॉपी अपने साथ रख लें।

इन दस्तावेज के साथ आप बैंक में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। अगर आप उन लोगों में से हैं जिनके साथ किसी ऐप की वजह से फ्रॉड हुआ है तो आप उस ऐप की स्क्रीनशॉट लेकर बैंक में दर्ज करें।

कहां दर्ज करे शिकायत?

बैंक में शिकायत दर्ज करने के बाद आपको अपने निकटतम पुलिस स्टेशन में भी एक लिखित शिकायत दर्ज करनी चाहिए।

अगर पुलिस एफआईआर दर्ज करने से इनकार करती है, तो सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत आप कोर्ट में जा सकते हैं। पुलिस के अलावा आप सीधा साइबर सेल में जाकर भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

धोखाधड़ी के मामले में किसकी देयता?

यदि धोखाधड़ी होती है और बैंक की गलती नहीं है और यह किसी तीसरे पक्ष द्वारा धोखाधड़ी, फिशिंग आदि के माध्यम से यह फ्रॉड किया गया है तो आरबीआई के नियम के ग्राहक को कोई भी भुगतान करने की जरूरत नहीं है फ्रॉड की सूचना तीन दिन के भीतर दी गई है तो।