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RBI के एक्शन के बाद IIFL Finance का शेयर बेचने की होड़, 20 प्रतिशत का लोअर सर्किट, एक्सपर्ट से जानिए कंपनी का फ्यूचर

रिजर्व बैंक ने सोमवार को IIFL Finance के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया था और कंपनी के नए लोन बांटने पर रोक लगा दी थी। बैंकिंग रेगुलेटर को सोने के वजन और शुद्धता से जुड़ी गड़बड़ियां मिली थीं। रिजर्व बैंक की पाबंदियों ने IIFL Finance के निवेशकों का भरोसा हिला दिया। कंपनी के शेयर में आज 20 प्रतिशत का लोअर सर्किट लगा। जानिए इसके शेयरों में आगे क्या होगा?

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 05 Mar 2024 02:32 PM (IST)
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119.40 रुपये गिरकर 477.75 रुपये पर आया IIFL का शेयर।

आईएएनएस, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को IIFL Finance के नए गोल्ड लोन मंजूर करने या बांटने पर तशत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। RBI की इस सख्ती ने IIFL Finance के निवेशकों के भरोसे को बुरी तरह हिला दिया है।

आज यानी मंगलवार को शेयर बाजार खुलते IIFL फाइनेंस के स्टॉक में 20 प्रतिशत का लोअर सर्किट लगा और 119.40 रुपये गिरकर 477.75 रुपये पर आ गया। सोमवार को आरबीआई के एक्शन से पहले इसमें 3.94 फीसदी की गिरावट आई थी। यह 24.55 रुपये गिरकर 598 रुपये पर बंद हुआ था। इसने पिछले एक साल में निवेशकों को करीब 32 प्रतिशत का रिटर्न दिया था।

IIFL फाइनेंस के शेयरों में गिरावट का उसकी प्रतिद्वंद्वी गोल्ड लोन बांटने वाली कंपनियों को फायदा हो रहा है। मणप्पुरम फाइनेंस और मुथूट फाइनेंस के स्टॉक में तेजी देखने को मिल रही है।

IIFL Finance पर क्या है एक्सपर्ट की राय?

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, 'हमारा मानना है कि आरबीआई का एक्शन IIFL के लिए काफी बड़ा झटका है। इसके AUM (असेट्स अंडर मैनेजमेंट) मिक्स में गोल्ड लोन का हिस्सा 32 फीसदी है। कंपनी के पास गोल्ड लोन सेगमेंट में भी अच्छी-खासी हिस्सेदारी थी।'

हालांकि, मोतीवाल ओसवाल ने यह भी कहा कि चूंकि ये प्रोसेस से जुड़ी खामियां हैं, तो कंपनी उन चीजों को दुरुस्त कर सकती है, जिन पर बैंकिंग रेगुलेटर को ऐतराज है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि आरबीआई का प्रतिबंध कब तक जारी रहेगा। ऐसे में IIFL फाइनेंस की AUM ग्रोथ और मुनाफे पर इसके असर के बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल है।

IIFL फाइनेंस ने क्या गड़बड़ी की है?

आरबीआई ने पिछले साल मार्च IIFL फाइनेंस की जांच की थी। उसने पाया कि लोन की मंजूरी और डिफॉल्ट पर नीलामी के वक्त सोने की शुद्धता और वजन की जांच में गड़बड़ी हो रही थी। लोन-टू-वैल्यू रेशियो का भी पालन नहीं हो रहा था यानी लिमिट से ज्यादा लोन का डिसबर्सल हो रहा था। कस्टमर के अकाउंट पर लगाए जाने वाले शुल्क में भी पारदर्शिता की कमी थी।

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