Explainer: कर्ज चुकाने के पैसे नहीं, क्या दिवालिया हो जाएगा पाकिस्तान? IMF ने जताई ये चिंता
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान की कर्ज चुकाने की क्षमता पर गंभीर संदेह जताया है। IMF का कहना है कि पाकिस्तान भारी नकदी संकट से जूझ रहा है और उसे लोन रीपेमेंट में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। IMF की सपोर्ट टीम पाकिस्तानी अधिकारियों से बातचीत करने के लिए इस्लामाबाद पहुंची है। पाकिस्तान एक बार फिर बेलआउट पैकेज मांग रहा है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र की फाइनेंशियल एजेंसी- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान की कर्ज चुकाने की क्षमता पर गंभीर संदेह जताया है। IMF का कहना है कि पाकिस्तान भारी नकदी संकट से जूझ रहा है और उसे लोन रीपेमेंट में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल, पाकिस्तान ने एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EPF) के तहत नए बेलआउट पैकेज की गुजारिश की थी। इसके बाद IMF की सपोर्ट टीम पाकिस्तानी अधिकारियों से बातचीत करने के लिए इस्लामाबाद पहुंची है। उसी ने पाकिस्तान के कर्ज चुकाने की क्षमता पर संदेह जताया है।
पाकिस्तान के जियो न्यूज ने पिछले दिनों पाकिस्तान पर अपनी स्टाफ रिपोर्ट जारी की थी। इसमें उसने IMF के हवाले से कहा, 'पाकिस्तान की फंड चुकाने क्षमता काफी कमजोर है। इसमें कई जोखिम भी हैं। पाकिस्तान जरूरी नीतियों पर अमल करने तक के लिए भी बाहरी मदद पर बुरी तरह से निर्भर है।'
रिपोर्ट के मुताबिक, 'पाकिस्तान आर्थिक सुधारों को अपनाने में देरी कर रहा है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार भी काफी कम हो गया है। कैश फ्लो भी बड़ी गिरावट आई है। सामाजिक और सियासी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। इन सबके चलते नीतियां लागू करने में भी दिक्कत हो रही है। उसका लोन रीपेमेंट कैपिसिटी और क्रेडिट स्टेबिलिटी भी खत्म हो गई है।'
पाकिस्तान को अगले पांच साल में 123 अरब डॉलर की जरूरत
वित्त वर्ष | फंडिंग की जरूरत |
2024-25 | 21 अरब डॉलर |
2025-26 | 23 अरब डॉलर |
2026-27 | 22 अरब डॉलर |
2027-28 | 29 अरब डॉलर |
2028-29 | 28 अरब डॉलर |
पाकिस्तान को भारी कर्ज की जरूरत
ग्लोबल लेंडर IMF का कहना है कि पाकिस्तान को अगले पांच साल के दौरान 123 अरब डॉलर की फंडिंग की जरूरत होगी। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि IMF की सपोर्ट टीम पाकिस्तान के वित्तीय दल के साथ अगले लॉन्ग टर्म लोन प्रोग्राम के बारे में चर्चा करेगी।
वहीं, आगे का फैसला IMF मिशन लेगा, जो 16 मई को पाकिस्तान आएगा। वह अलग-अलग विभागों से डेटा लेगा और मौजूदा वित्त वर्ष के बजट के बारे में भी चर्चा करेगा। IMF की टीम 10 दिनों तक पाकिस्तान में रहेगी। पाकिस्तान ने क्लाइमेट फाइनेंसिंग के तहत तीन साल के लिए 6 और 8 अरब डॉलर के अगले बेलआउट पैकेज की मांग की है।हालांकि, IMF पहले ही साफ कर चुका है कि पाकिस्तान को आर्थिक सुधारों में तेजी लानी होगी। इसमें अपनी आमदनी बढ़ाने के साथ विदेशी कर्ज घटाने का उपाय करने जैसी चीजें शामिल हैं।