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IMF ने की कोविड-19 के बावजूद भारत के आर्थिक सुधारों की तारीफ, 2021-22 में 9.5 फीसद की आर्थिक वृद्धि का लगाया अनुमान

IMF ने अपने सदस्यों द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में यह कहा है कि महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियों में अनिश्चितताएं बराबर बनी हुई हैं। IMF ने कहा है कि भारत को अभी भी सावधानी बरतने की जरूरत है।

By Abhishek PoddarEdited By: Updated: Sun, 17 Oct 2021 07:22 AM (IST)
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IMF ने कोविड-19 के बावजूद भारत के आर्थिक और श्रम सुधारों की प्रक्रिया को जारी रखने की तारीफ की है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। IMF यानी कि, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कोविड-19 के बावजूद भारत के आर्थिक और श्रम सुधारों के साथ निजीकरण की प्रक्रिया को जारी रखने की तारीफ की है। IMF ने अपने सदस्यों द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में यह कहा है कि, महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियों में अनिश्चितताएं बराबर बनी हुई हैं। भारत को अभी भी सावधानी बरतने की जरूरत है।

अपने आर्टिकल IV के परामर्श रिपोर्ट में IMF ने यह कहा कि, निवेश और दूसरे कारकों पर COVID-19 का लगातार नकारात्मक प्रभाव आर्थिक सुधार को लम्बा खींच सकता है। भारत सरकार की कोविड-19 से निपटने के प्रायासों की स्थिति पर, IMF ने बायान देते हुए यह कहा कि, कोविड-19 से उबरने के लिए भारत के द्वारा काफी तेजी से पर्याप्त प्रयास किए गए थे। इसमें सरकार की तरफ से वित्तीय सहायता शामिल है, जिसमें अर्थव्यवस्था को समर्थन, मौद्रिक नीति में ढील, तरलता प्रावधान, और समायोजन वित्तीय क्षेत्र और नियामक नीतियां शामिल हैं।

महामारी के बावजूद, अधिकारियों ने श्रम सुधार और निजीकरण योजना सहित संरचनात्मक सुधारों को लागू करना जारी रखा है। IMF ने वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की आर्थिक वृद्धि 9.5 फीसद और 2022-23 में 8.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। ऊंचे कीमतों के दबाव के बीच 2021-22 में मंहगाई दर 5.6 फीसद रहने का अनुमान है।

IMF ने बयान देते हुए यह कहा कि, महामारी की अनिश्चितताओं के कारण आर्थिक सुधारों पर प्रभाव देखने को मिला है। निवेश, ह्यूमन रिसोर्स और अन्य करारकों पर कोविड-19 का प्रभाव आर्थिक सुदारों को लंबे समय तक प्रभावित कर सकता है। साथ ही यह मध्यम अवधि के विकास को भी प्रभावित कर सकता है।

तेजी से टीकाकरण और बेहतर चिकित्सा उपायों से महामारी के प्रभाव को फैलने और सीमित करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा व्यापक संरचनात्मक सुधारों के सफल कार्यान्वयन से भारत की विकास क्षमता में वृद्धि हो सकती है।