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आईएमएफ चीफ की चेतावनी, दुनिया में गहरा रहा है मंदी का खतरा, वैश्विक आर्थिक विकास के अनुमान में फिर कटौती

आईएमएफ ने कहा है कि बढ़ती मुद्रस्फीति और यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में मंदी का खतरा बढ़ रहा है। जल्द ही इसका असर दुनिया पर दिखने लगेगा। आईएमएफ का कहना है कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर इस समय बहुत से देश संकट में हैं।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Thu, 06 Oct 2022 09:22 PM (IST)
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IMF warns higher recession risk, cuts global economic growth for 2023
वाशिंगटन, बिजनेस डेस्क। Global Economic Growth: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी दी है कि दुनियाभर में मंदी का जोखिम बढ़ रहा है और वह एक बार फिर 2023 के लिए वैश्विक आर्थिक विकास के अपने अनुमान को कम कर रहा है। 2026 तक वैश्विक आर्थिक विकास में 4 ट्रिलियन अमेरिकी डालर तक की कमी आ सकती है।

आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने गुरुवार को जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि चीजें बेहतर होने से पहले और भी खराब होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर फरवरी में शुरू हुए रूसी आक्रमण ने आईएमएफ के दृष्टिकोण को नाटकीय रूप से बदल दिया है। अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर इस समय बहुत से देश संकट में हैं।

गहराया मंदी का संकट

आईएमएफ (IMF) चीफ ने कहा कि कई देश पहले से ही अर्थव्यवस्थाओं पर युद्ध के प्रभाव देख रहे हैं। जॉर्जीवा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपने वैश्विक विकास अनुमानों को पहले ही तीन बार घटा दिया है। 2022 के लिए यह 3.2 प्रतिशत और अब 2023 के लिए 2.9 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहा है।

क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि मंदी के जोखिम बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आईएमएफ का अनुमान है कि जिन देशों का विश्व अर्थव्यवस्था में एक तिहाई से अधिक का योगदान है, उन देशों में इस साल और अगले साल कम से कम लगातार दो तिमाहियों में आर्थिक संकुचन होगा।

बढ़ी ब्याज दरों का नहीं हो रहा असर

तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक प्लस ने बुधवार को तेल की कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए उत्पादन में तेजी से कटौती करने का फैसला किया है। यह संघर्षरत वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक और झटका दे सकता है। दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के बढ़ते मुद्रास्फीति पर काबू पाने की उम्मीद में ब्याज दरों में वृद्धि के परिणाम बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। लेकिन इसके कारण मंदी का खतरा बढ़ रहा है। जॉर्जीवा ने कहा कि मौद्रिक नीति को तेज करना कई अर्थव्यवस्थाओं को लंबे समय तक मंदी में धकेल सकता है।

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