Crude Oil के लगातार गिर रहे दाम, भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर क्या होगा असर?
Crude Oil Downfall Impact कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रही हैं। इसकी बड़ी वजह अमेरिका और चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के सुस्त पड़ने की आशंका है। क्रूड ऑयल की कीमतें तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। आइए समझते हैं कि क्रूड में गिरावट का भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर क्या असर होगा। साथ ही ऑयल कंपनियों के शेयरों में गिरावट क्यों आ रही है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (Crude Oil) का भाव लगातार गिर रहा है। अगर ब्रेंट ऑयल फ्यूचर्स की बात करें, तो यह दिसंबर 2021 के बाद पहली बार 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे फिसल गया है। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट (Falling crude oil prices) के बावजूद सरकारी ऑयल कंपनियों के शेयरों में काफी गिरावट देखी जा रही है। ONGC के शेयरों में 2.94 फीसदी, IOC में 3.11 फीसदी और BPCL ने 1.49 फीसदी का गोता लगाया है।
आइए जानते हैं कि क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट क्यों आ रही है और इसका भारत की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर क्या असर पड़ेगा। साथ ही, क्रूड में गिरावट के बावजूद सरकारी तेल कंपनियों के शेयरों में गिरावट क्यों देखी जा रही है।
क्रूड ऑयल में गिरावट क्यों?
क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिका और चीन (US China economic slowdown) हैं। केडिया फिनकॉर्प के फाउंडर नितिन केडिया का कहना है कि चीन में औद्योगिक मंदी के चलते क्रूड ऑयल की डिमांड घटने की आशंका जताई जा रही है। वहीं, अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया है कि अगर राष्ट्रपति बनते हैं, तो ईरान के तेल उत्पादन की लिमिट घटा देंगे, ताकि वह आमदनी कम हो और वह आतंकवाद की फंडिंग न कर पाए।
नितिन केडिया का कहना है कि शुरुआत में ट्रंप की जीत की संभावनाएं काफी मजबूत थीं, ऐसे में लग रहा था कि ईरान का तेल उत्पादन घटेगा और सप्लाई के मोर्चे पर चुनौतियां पैदा होंगी। लेकिन, अब ट्रंप को कमला हैरिस से काफी तगड़ी टक्कर मिल रही है और उनकी जीत की उम्मीद भी जताई जाने लगी है। इस सूरत में ईरान के तेल उत्पादन पर ज्यादा सख्ती की गुंजाइश नहीं है। इसके चलते भी क्रूड के दाम लगातार गिर रहे हैं।
शेयर मार्केट पर क्या होगा असर?
अगर ओवरऑल देखा जाए, तो कच्चे तेल का दाम घटना (Oil price decline effects) भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी अच्छा है। हमारे आयात बिल का एक बड़ा हिस्सा क्रूड ऑयल का बिल चुकाने में चला जाता है। ऐसे में क्रूड प्राइस घटने से सरकार को राजकोषीय घाटा नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी। इससे महंगाई भी नियंत्रित रहती है। अगर सरकार सस्ते क्रूड का फायदा पेट्रोल-डीजल के दाम घटाकर देती है, तो इससे कई कंपनियों को भी फायदा हो सकता है, क्योंकि उनकी कामकाजी लागत कम होगी।
हालांकि, क्रूड प्राइस कम होने से भी ONGC जैसी सरकारी तेल कंपनी के शेयरों में गिरावट देखी जा रही है। केडिया फिनकॉर्प के फाउंडर नितिन केडिया का कहना है कि इसका फिनिश्ड प्रोडक्ट क्रूड है। अगर क्रूड का दाम 75 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आता है, तो माना जाता है कि इसकी अर्निंग पर शेयर (EPS) कम हो सकती है। हालांकि, क्रूड का दाम 75 डॉलर से ऊपर जाने की स्थिति में ONGC जैसे शेयरों में दोबारा तेजी देखने को मिल सकती है।
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