आयकर विभाग ने टैक्स सेटलमेंट से जुड़ी अर्जियों को 30 सितंबर तक स्वीकार करने का दिया आदेश, जानिए पूरा मामला
Income Tax Department ने विभाग के अधिकारियों एक आदेश जारी कर लंबित टैक्स मामलों के निपटारे से जुड़े आवेदनों को 30 सितंबर तक स्वीकार करने को कहा है। वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में वित्त विधेयक के जरिए इनकम टैक्स एक्ट 1961 के प्रावधानों में संशोधन किया गया था।
By Ankit KumarEdited By: Updated: Wed, 29 Sep 2021 01:51 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। Income Tax Department ने विभाग के अधिकारियों एक आदेश जारी कर लंबित टैक्स मामलों के निपटारे से जुड़े आवेदनों को 30 सितंबर तक स्वीकार करने को कहा है। वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में वित्त विधेयक के जरिए इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के प्रावधानों में संशोधन किया गया था। इन संशोधनों में यह प्रावधान किया गया था कि इनकम टैक्स सेटलमेंट कमीशन (ITSC) एक फरवरी, 2021 से काम करना बंद कर देगा।
इसके साथ ही इस बात का प्रावधान किया गया था कि एक फरवरी को या उसके बाद सेटलमेंट के लिए किसी तरह की अर्जी दाखिल नहीं की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि फाइनेंस बिल, 2021 को एक फरवरी को ही लोकसभा में पेश किया गया था। हालांकि, सेटलमेंट के लिए 31 जनवरी, 2021 तक की लंबित अर्जियों के निपटारे के लिए सरकार ने इंटरिम बोर्ड ऑफ सेटलमेंट का गठन किया था।इसके बाद वित्त मंत्रालय को विभिन्न माध्यमों से इस बात की सूचना मिली कि एक फरवरी तक कई टैक्सपेयर्स ITSC के समक्ष सेटलमेंट की अर्जी दाखिल करने के प्रोसेस में एडवांस स्टेज में थे।
इसके बाद सरकार ने ऐसे टैक्सपेयर्स को अर्जी दाखिल करने को लेकर राहत दे दी, जो 31 जनवरी 2021 तक इसके पात्र थे लेकिन ITSC को काम करने से रोक दिए जाने से आवेदन दाखिल नहीं कर पाए थे। आयकर विभाग ने इस महीने की शुरुआत में यह फैसला किया कि सेटलमेंट के लिए अर्जियों को 30 सितंबर, 2021 तक अंतरिम बोर्ड के पास दाखिल किया जा सकता है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने 28 सितंबर को एक आदेश जारी कर आयकर विभाग के आयुक्तों को सेटलमेंट से जुड़ी अर्जियों को स्वीकार करने को कहा।
CBDT की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, ''एसेसीज को किसी तरह की परेशानी ना हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड, आयकर विभाग के कमिश्नर को अंतरिम बोर्ड की ओर से 31 जनवरी के बाद सेटलमेंट के लिए दायर की गई अर्जी को स्वीकार करने के लिए अधिकृत करता है...और इन आवेदनों को वैध मानने और उन्हें लंबित आवेदन के तौर पर प्रोसेस करने के लिए लिए कहता है।''