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Income Tax: नया टैक्स स्लैब या पुराना, कौन-सा है आपके लिए बेहतर; जानें कैसे होगी अधिक बचत

Income Tax अगर आप नौकरीपेशा व्यक्ति हैं और आपकी सैलरी 40-50 हजार के आसपास है तो बजट के पहले आपकी सबसे बड़ी चिंता ये होती है कि आपके पास टैक्स बचाने के क्या मौके हैं। आज हम कुछ ऐसे ही तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Tue, 17 Jan 2023 11:40 AM (IST)
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Old vs New Tax Slab: know which one is better for you

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Budget 2023 Income Tax: हम जो भी पैसा कमाते हैं, उस पर हमको टैक्स देना पड़ता है। इनकम टैक्स यानी आयकर नौकरीपेशा लोगों की सबसे बड़ी टैक्स लायबिलिटी होती है। समय पर टैक्स की अदायगी हर जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है। कर के रूप में हम जो पैसे जमा करते हैं, उससे देश की प्रगति को गति मिलती है। टैक्स सरकार की सबसे बड़ी कमाई होती है, लेकिन सरकार कर लगाने के साथ ही नागरिकों को इस बात की भी पूरी सुविधा देती है कि वह कानूनी तौर-तरीकों का इस्तेमाल कर अपना टैक्स बचा सकें।

कुछ ही दिन बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2023-24 के लिए देश का नया बजट पेश करेंगी। हर बार की तरह इस बार भी बजट से जो सबसे बड़ी उम्मीद है, वो टैक्स स्लैब में बदलाव को लेकर है। आम आदमी का बजट से सबसे बड़ा सरोकार यही होता है कि उसको कर में कितनी राहत मिली या कितनी छूट मिली। बाकी सब तो उसके लिए आंकड़ों का खेल है।

किस आधार पर तय होते हैं कर

Tax Slab In India: क्या आप जानते है कि देश में कितने टाइप के टैक्स स्लैब हैं। आपको कितना इनकम टैक्स देना होगा, यह टैक्स स्लैब के आधार पर तय होता है, लेकिन असल में ये पूरा गणित इतना उलझा हुआ है कि आम आदमी इसमें पड़ने की जहमत ही नहीं उठाना चाहता। इस आर्टिकल में हम आपको यह समझाने की कोशिश करेंगे कि देश में इस समय कितने टैक्स स्लैब हैं और उनके आधार पर कर लगाने का क्या नियम है।

ओल्ड बनाम न्यू टैक्स स्लैब

Old vs New Tax Slab: फिलहाल देश में टैक्स की दो प्रणालियां मौजूद हैं। एक को ओल्ड टैक्स स्लैब के नाम से जानते हैं, यह काफी पहले से चली आ रही है, जबकि न्यू टैक्स स्लैब को 2020 में शुरू किया गया था। दिल्ली में अपनी निजी फर्म चलाने वाले कर सलाहकार गौरव अग्रवाल बताते हैं कि इसको शुरू करने का मुख्य उद्देश्य था कि आम आदमी को आइटीआर फाइल करने में आसानी हो और उन्हें किसी तरह की दिक्कत न हो। लेकिन न्यू टैक्स स्लैब लाने के साथ ही पुराने टैक्स स्लैब को हटाया नहीं गया। वह अभी भी बना हुआ है।

दोनों में क्या है अंतर

गौरव अग्रवाल बताते हैं कि ओल्ड टैक्स स्लैब में 5 लाख तक की आय पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना होता। इसके अलावा अगर आप इसका चुनाव करते हैं तो इसमें इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80 के तहत डेढ़ लाख रुपए निवेश पर कर से छूट भी मिलती है। यानी इस टैक्स स्लैब में टैक्सपेयर को 6.50 लाख तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता। अगर आपकी आमदनी इस दायरे में आती है तो आपको कर नहीं देना पड़ेगा। इसे इस तरह समझें-

अगर आपकी मासिक आमदनी 50,000 हजार है तो इस हिसाब से 12 महीने के लिए आपकी वार्षिक आमदनी 6 लाख तक हो जाती है। अगर आप अपना पुराना टैक्स स्ट्रक्चर चलते हैं तो आपको इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत डेढ़ लाख रुपये का टैक्स डिडक्शन मिलता है। इसके अलावा सैलरीड लोगों को 50,000 का एक स्टैंडर्ड डिडक्शन भी दिया जाता है।

कैसे मिलता है रिबेट

अगर आप टैक्स स्लैब का पुराना स्ट्रक्चर चलाते हैं तो आपको ढाई लाख रुपये तक कोई कर नहीं देना पड़ता है। ढाई लाख से पांच लाख तक की आमदनी पर 5 फीसद का टैक्स लगता है, लेकिन सरकार इस पर 12,500 की छूट देती है। सीधा गणित यह है कि पुराने टैक्स स्लैब में 5 लाख तक की आमदनी पर आपको टैक्स नहीं देना पड़ता।

अगर आयकर नियमों की बात करें तो उस हिसाब से 5 लाख तक अगर आपकी सालाना कमाई है तो आपका टैक्स 12,500 रुपये बनता है, लेकिन सेक्शन 87A के तहत रिबेट मिल जाने से 5 लाख वाले स्लैब में आयकर भुगतान की दावेदारी जीरो हो जाती है।

नए टैक्स स्लैब का क्या है गणित

नए टैक्स स्ट्रक्चर में ढाई लाख रुपए तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं है। इसके बाद 5% के हिसाब से टैक्स लगता है। 5 लाख तक तक की आय के लिए इसकी गणना करें तो आपकी कर देनदारी 12,500 बनती है, यानी नए टैक्स स्लैब के हिसाब से अगर आपकी सैलरी हर महीने 50,000 है तो 23,400 की टैक्स लायबिलिटी आप पर बनती है।

अगर आमदनी 1 लाख रुपये अधिक है तो यह रकम 10 फीसद टैक्स ब्रैकेट में आती है, इसलिए इस पर 10,000 रुपये की टैक्स देनदारी हो जाती है। आपको बता दें कि कैलकुलेट टैक्स पर 4 फीसद अधिभार भी लगता है तो अगर टैक्स 12,500 है तो 4 फीसद सेस मिलाकर आपकी कर योग्य आय 13,400 हो जाती है।

कैसे बचाएं टैक्स

टैक्स स्लैब आप नया चुनें या पुराना, इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80C के तहत आप एक लाख का निवेश कर अपना टैक्स बचा सकते हैं। इसके लिए आप नेशनल सेविंग स्कीम, पीपीएफ आदि पर निवेश कर सकते हैं। अगर आप अलग से नेशनल पेंशन स्कीम में 50,000 तक निवेश करते हैं तो सेक्शन 80CCD के तहत आपको इनकम टैक्स में 50,000 छूट मिलती है। साथ ही होम लोन अगर आपने लिया हुआ है तो आप वहां भी आपको बचत हो सकती है। होम लोन पर आप दो लाख तक बचा सकते हैं।

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