ग्रोथ में विनिर्माण यानी
मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की भूमिका का अधिक महत्व होता है। आज ही यानी शुक्रवार को एनएसओ ने एक आंकड़ा जारी कर बाताया कि जून के महीने में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 3.1 प्रतिशत बढ़ा है। तो चलिए जानते हैं हमने मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में कितनी तरक्की की है।
मैन्युफैक्चरिंग के हर क्षेत्र में मजबूत प्रदर्शन
पिछले 76 साल में हमने ऑटोमोटिव, इंजीनियरिंग, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन की बदौलत विनिर्माण के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धी हासिल की है। दुनिया की स्थिति और हाल ही में भारत के पक्ष में आए कई आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट है कि भारत भविष्य में विनिर्माण का आधार बनेगा।
भारतीय विनिर्माण उद्योग ने महामारी से पहले
भारत की जीडीपी का 16-17 प्रतिशत उत्पन्न किया था और इसे सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक माना जाता है। पिछले साल ही भारत यूके को पछाड़ कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना था और अब उम्मीद है कि साल 2047 तक देश 15 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
क्या है मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ने का राज?
किसी भी देश में विनिर्माण तब बढ़ता है या मजबूत होता है जब वहां की सरकार विनिर्माण के लिए अनुकुल परिस्थितयां बनाएं। पिछले कई वर्षों से हमारी सरकार ने भी देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए ऐसे कई परियोजनाएं जैसे
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। चलिए समझते हैं पूरा हिसाब-किताब।
MSME के लिए सरकार क्या उठा रही है कदम?
एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जो देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में लगभग 30 प्रतिशत और विनिर्माण उत्पादन में 45 प्रतिशत योगदान देते हैं। एमएसएमई भारत की 11 करोड़ आबादी को रोजगार प्रदान देता है।भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रही है कि इन एमएसएमई योजनाओं का सारा लाभ समय पर एमएसएमई तक पहुंचे। सरकार के द्वारा MSME के लिए के प्रमुख योजनाओं में से कुछ इस प्रकार हैं:
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) - देश में एमएसएमई के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से स्थापित, पीएमईजीपी को राष्ट्रीय स्तर पर खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है, जबकि राज्य और जिला स्तर पर इसे लागू किया जाता है।
सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड (सीजीटीएमएसई) - व्यक्तिगत सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) को संपार्श्विक मुक्त लोन (1 करोड़ रुपये तक) प्रदान करने के लिए एमएसएमई मंत्रालय और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा स्थापित किया गया।
स्टैंड अप इंडिया योजना- स्टैंड अप इंडिया योजना भारत के वंचित क्षेत्रों के एमएसएमई को मदद करती है। इस लोन के उद्देश्यों के तहत, यह लक्ष्य रखा गया है कि कम से कम एक एससी/एसटी और एक महिला उधारकर्ता अपनी ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए एक निश्चित राशि उधार ले सकें। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा समर्थित, स्वीकृत लोन 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के बीच सीमित है।
क्या है PLI स्कीम?
पीएलआई योजना एक पहल है जो स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन प्रदान करती है। जब ऐसा होता है, तो विशेष रूप से तैयार किए गए उत्पाद सामने आते हैं जो लक्षित दर्शकों के एक चयनित वर्ग को संतुष्ट करते हैं।घरेलू व्यवसाय भी आयात बिल को कम करने में मदद करते हैं। पीएलआई योजना के अनुसार, सरकार ने घरेलू कंपनियों और प्रतिष्ठानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने या विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसके लिए सरकार वृद्धिशील बिक्री पर प्रोत्साहन प्रदान करती है।
हालिया मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनियों को पीएलआई योजना के तहत प्रोत्साहन के रूप में 13,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। इस साल मार्च तक, पीएलआई योजना के तहत 2,900 करोड़ रुपये के इंसेंटिव का भुगतान किया है।
पीएलआई प्रणाली के तहत, उत्पादन में क्रमिक वृद्धि की स्थिति में ही प्रोत्साहन दिया जाता है। पिछले तीन वर्षों में अब तक 14 क्षेत्रों के लिए पीएलआई प्रणाली की घोषणा की जा चुकी है। इन 14 सेक्टरों को 1 करोड़ 97 लाख रुपये दिए गए हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
आने वाले समय में हम बन जाएंगे विनिर्माण का पावरहाउस?
25 साल बाद यानी आजादी के 100 साल बाद हम न सिर्फ 100 साल का जश्न मनाएंगे बल्कि दुनिया का नेतृत्व भी कर रहे होंगे। जब पूरी दुनिया ग्लोबल मंदी से जूझ रही थी हमारी देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही थी जो यह संकेत है कि हम दुनिया भर के मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस के लिए उम्मीद की किरण है।विनिर्माण का पावरहाउस बनने के लिए हम तेजी से अपने फ्यूचर रेडी इन्फ्रास्ट्रकचर पर फोकस कर रहे हैं। इसके अलावा हम यह अच्छी तरह से जानते हैं कि आने वाला जमाना तकनीक पर आधारित है इसलिए हमारे देश ने हाई-टेक सेमीकंडक्टर्स के देश में ही बनाने का निश्चय किया है।
देश में हुए हाल ही में हुए सेमीकान इंडिया 2023 इवेंट में
केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा था कि अगले 12 से 14 महीनों में भारत को देश में बना पहला सेमीकंडक्टर मिल सकता है और अगर ऐसा होता है तो समझ लीजिए की हम विनिर्माण का पावरहाउस बनने के एक कदम और करीब आ जाएंगें। टेक जाइंट एपल, सैमसंग जैसी बड़ी कंपनियां अब धीरे-धीरे हमारे देश में ही अपने प्रोडक्ट बना रही है।