भारत को वैश्विक स्तर पर पहचान देने में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने बड़ी भूमिका निभाई है। यूपीआई के जरिये अब एक रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक की पेमेंट करना मुश्किल नहीं है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यूपीआई ने लेनदेन के तरीकों को पूरी तरह से बदल दिया है। इसके अलावा इसने वैश्विक स्तर पर भी भारत को नई पहचान दी है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। आज के समय में घर से निकलते वक्त पर्स घर पर रह जाए, तब भी हमें कोई फिक्र नहीं होती, क्योंकि हम जानते हैं कि स्मार्टफोन ही अब हमारा पर्स बन गया है। मौजूदा समय में पेमेंट के लिए कैश के साथ यूपीआई (UPI Payment) भी काफी अच्छा ऑप्शन हो गया है। आप 5 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये प्रतिदिन तक की पेमेंट यूपीआई की मदद से कर सकते हैं। और सबसे अच्छी बात है कि इसके लिए आपको कोई चार्ज भी नहीं देना होता। जहां वर्ष 2016 से पहले छुट्टे पैसों के लिए टेंशन रहती थी, अब ऐसा नहीं है। 1 रुपये तक के भुगतान के लिए यूपीआई मौजूद है।
ऑनलाइन पेमेंट की जब भी बात आती है तो यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का जिक्र होता ही है। 2016 से पहले तक यूपीआई एक अनजान शब्द था। आज दुनिया के कई देशों में इसका डंका बज रहा है। अब कई देशों में बिना कैश एक्सचेंज करवाए हम आसानी से यूपीआई के जरिये लेन-देन कर सकते हैं। वैश्विक स्तर पर यूपीआई भारत की पहचान बन चुका है। इसने फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन (Financial Transaction) को पूरी तरह से बदल दिया है और डिजिटल पेमेंट में एक नए युग को शुरू किया है।
पहले जहां एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने में काफी समय लगता था। वहीं, अब कुछ मिनटों में आसानी से पेमेंट हो जाती है। यूपीआई ने काफी हद तक लेन-देन को आसान और सुरक्षित बना दिया है।
एक निवेशक के रूप में, यूपीआई का महत्व और भी बढ़ जाता है। यूपीआई ने भारत में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को बढ़ावा दिया है, जिससे बैंकिंग सेवाओं का उपयोग ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में भी संभव हुआ है। इससे व्यापार और अर्थव्यवस्था में तेजी आई है और छोटे-मोटे कारोबारियों को भी इससे काफी फायदा मिला है। यूपीआई ने काले धन और नकदी के उपयोग को भी कम किया है, जिससे पारदर्शिता और आर्थिक स्थिरता में सुधार हुआ है।
सिद्धार्थ मौर्य, फाउंडर एंड मैनेजिंग डायरेक्टर, विभावंगल अनुकूलकारा प्राइवेट लिमिटेड
यूपीआई के बारे में
वैसे तो यूपीआई की शुरुआत 2016 में हुई थी, लेकिन इसे पहचान कोरोना महामारी के बाद मिली है। बाजार में यूपीआई की हिस्सेदारी 2021 में बढ़ी है। अधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2016-2017 में जहां यूपीआई के जरिये 36 फीसदी पेमेंट होती थी। वहीं, 2021 तक यूपीआई भुगतान दर 63 फीसदी पहुंच गई। इससे साफ पता चलता है कि 5 साल में लोगों के बीच यूपीआई ने अपनी पहचान बना ली।
यूपीआई की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किसी भी बैंक अकाउंट को एक ही प्लेटफॉर्म पर जोड़कर काम करता है। इसके माध्यम से आप एक मोबाइल नंबर या वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) का इस्तेमाल करके तुरंत पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं या फिर पा सकते हैं। आज छोटे दुकानदार से लेकर बड़े बिजनेसमैन भी यूपीआई के जरिये लेन-देन करना पसंद करते हैं। यूपीआई से डिजिटल लेन-देन को नया आयाम मिला है।
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डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में यूपीआई की भूमिका
यूपीआई ने भारत को एक डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर किया है। आज करोड़ों लोग यूपीआई का इस्तेमाल करके बिना किसी बैंक ब्रांच में गए, अपने स्मार्टफोन से ही पेमेंट कर रहे हैं। यूपीआई ने डिजिटल पेमेंट को इतना सरल और सुलभ बना दिया है कि इसे न केवल शहरों में, बल्कि गांवों में भी बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है।
यहां तक यूपीआई ने भारत को वैश्विक स्तर पर भी नई पहचान दी है। दुनिया भर के देश अब यूपीआई मॉडल को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक और एनपीसीआई (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) की इस पहल ने भारत को डिजिटल लेन-देन में एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित कर दिया है।आज के समय में यूपीआई न केवल भारत की आर्थिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह देश की प्रगति और विकास का प्रतीक भी बन चुका है। यूपीआई का विकास भारत के वित्तीय और डिजिटल भविष्य में एक बड़ा योगदान देने वाला है। यह न केवल एक वित्तीय उपकरण है, बल्कि भारत की नयी पहचान का प्रतीक भी है, जो देश को डिजिटल युग में एक नई दिशा में ले जा रहा है।
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