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Rice Export: भूटान, मॉरीशस, सिंगापुर के अनुरोध पर भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की दी मंजूरी

भारत ने कुछ देशों को सफेद गैस बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले में थोड़ी ढील दी है। फैसले के बाद कल केंद्र सरकार ने घोषणा की कि भारत ने भूटान मॉरीशस और सिंगापुर को 1.43 लाख टन गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात करने की अनुमति दी है। जानिए किस देश के लिए कितना चावल निर्यात करने का मंजूरी मिली है।

By AgencyEdited By: Gaurav KumarUpdated: Thu, 31 Aug 2023 08:19 AM (IST)
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गैस-बासमति सफेद चावल पर लगाए गए निर्यात पर रोक के निर्णय में सरकार ने दी ढील
नई दिल्ली, एजेंसी: भारत ने गैस-बासमति सफेद चावल पर लगाए गए निर्यात पर रोक के निर्णय में कुछ देशों के लिए थोड़ी सी ढील दी है। कल केंद्र सरकार ने यह फैसला लेते हुए बताया कि भारत ने भूटान, मॉरीशस और सिंगापुर को 1.43 लाख टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति दी है।

किस देश के लिए कितना निर्यात?

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अपने एक नोटिफिकेशन में कहा कि राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से निर्यात की अनुमति है।

डीजीएफटी ने भूटान को 79,000 टन, मॉरीशस को 14,000 टन और सिंगापुर को 50,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को मंजूरी दी है।

भारत से किया था अनुरोध

आपको बता दें कि भारत ने गैर-बासमति सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई को रोक लगा दिया था। सरकार ने यह कदम घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए था।

इस फैसले के बाद अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनके अनुरोध पर भारत सरकार ने ये निर्यात की अनुमति दी है।

सरकार ने लिया है यह भी फैसला

उपरोक्त फैसले के अलावा एक अन्य फैसले में सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि वैसे निर्यातक जिन्होंने चावल के बैन वाली अधिसूचना जारी होने से पहले एक खेप के लिए निर्यात शुल्क का भुगतान कर दिया था, उन्हें उस खेप को भेजने की अनुमति दी जाएगी।

सरकार के मुताबिक यह भुगतान 20 जुलाई, 2023 की 21:57:01 बजे से पहले किया होना चाहिए। इसके अलावा सरकार ने अलग फैसला लेते हुए यह भी बताया है कि 1,200 अमेरिकी डॉलर (लगभग 100,000 रुपये) प्रति टन से नीचे बासमती चावल का निर्यात नहीं किया जाएगा।

आपको बता दें कि यह निर्णय बासमती चावल के अलावा अन्य किस्मों के चावल के निर्यात को रोकने के लिए लिया गया है। निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार ने APEDA को निर्देश दिया था कि वह 1,200 डॉलर प्रति टन से कम के अनुबंध पंजीकृत न करें।