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द्विपक्षीय कारोबार को 400 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखेंगे भारत व अमेरिका

बैठक में यह माना गया है कि वैश्विक कूटनीति में जिस तरह से हालात बन रहे हैं और प्रौद्योगिक क्षेत्र में जिस तरह से भारत व अमेरिका एक दूसरे के करीब आ रहे हैं उसे देखते हुए 400 अरब डॉलर का कारोबारी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों के बीच एक कारोबारी समझौते की जरूरत भी बताई गई है।

By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Sat, 29 Jun 2024 11:00 PM (IST)
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देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की अगुवाई में इनिसिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलोजीज की बैठक में यह मुद्दा उठा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कभी द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ा कर 500 अरब डॉलर करने की बात करने वाले भारत और अमेरिका के बीच हाल के वर्षों में इस बारे में कम ही चर्चा हुई है। लेकिन अब भारत में पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में तीसरी बार सरकार बनने के बाद अमेरिकी पक्ष ने भारत को संकेत दिया है कि एक बार फिर द्विपक्षीय कारोबार पर फोकस होना चाहिए।

पिछले दिनों दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की अगुवाई में इनिसिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलोजीज (आइसीईटी) की बैठक में यह मुद्दा उठा। यह सहमति भी बनी की दोनो देशों को वर्ष 2030 तक मौजूदा द्विपक्षीय कारोबार (118.2 अरब डॉलर) को वर्ष 2030 तक 400 डॉलर करने का लक्ष्य तैयार करना चाहिए और इस लक्ष्य के हिसाब से ही आगे बढ़ना चाहिए।

बैठक में यह माना गया है कि वैश्विक कूटनीति में जिस तरह से हालात बन रहे हैं और प्रौद्योगिक क्षेत्र में जिस तरह से भारत व अमेरिका एक दूसरे के करीब आ रहे हैं उसे देखते हुए 400 अरब डॉलर का कारोबारी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों के बीच एक कारोबारी समझौते की जरूरत भी बताई गई है। बैठक में दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रालयों को निर्देश दिया गया है कि वो रणनीतिक कारोबारी वार्ता को जारी रखें और इसके तहत एक दूसरे के साथ कारोबार करने के माहौल को आसान बनाने के लिए एक समझौते की रूप-रेखा तैयार करें।

भारत व अमेरिका के बीच जून, 2023 में वाशिंगटन में रणनीतिक कारोबारी विमर्श हुआ था। इसमें जिन बिंदुओं पर चर्च की गई थी उन पर दोबारा नई दिल्ली में दिसंबर, 2023 में डिप्टी एनएसए की अगुवाई में हुई आइसीईटी वार्ता में विमर्श किया गया था। आइसीईटी बैठक में यह माना गया है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार की राह में कई तरह की बाधाएं हैं जिन्हें वाणिज्य मंत्रालयों के आपसी सहयोग से ही दूर किया जा सकता है।

जानकारों का कहना है कि अमेरिका की तरफ से वहां होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले भारत के साथ कारोबारी समझौता करने की बात कही जा रही है। लेकिन भारत इस बारे में पूरी तरह से संतुष्ठ होने के बाद ही कदम उठाना चाहता है। यह भी बता दें कि वर्ष 20220 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले भी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार की तरफ से भारत के साथ एक मिनी कारोबारी समझौता करने को लेकर काफी दबाव बनाया गया था। पूर्व में ट्रंप प्रशासन भी भारत के साथ इस तरह का समझौता कर उसे अदंरूनी राजनीति में इस्तेमाल करने की मंशा रखती थी।

सनद रहे कि इसके पहले वर्ष 2015 में अपनी आधिकारिक भारत यात्रा के दौरान भारत व अमेरिका के द्विपक्षीय कारोबार को 500 अरब डॉलर करने की बात कही थी। उसके बाद कुछ समय तक दोनों देशों के बीच विमर्श भी हुआ था। दूसरी तरफ, वर्ष 2023-24 के आंकड़ों से पता चलता है कि सीमा पर तनाव होने व खराब रिश्तों के बावजूद चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार (118.4 अरब डॉलर) अमेरिका से ज्यादा रहा है।

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