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2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत, मार्गन स्टेनली की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

ब्रोकरेज फर्म मार्गन स्टेनली ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 2027 तक सांकेतिक जीडीपी पांच लाख करोड़ डालर तक पहुंच जाएगी और इस तरह भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। मार्गन स्टेनली को उम्मीद है कि देश की अर्थव्यवस्था 2024 से 2028 तक औसतन 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और वैश्विक विकास में भारत का महत्व बढ़ा है।

By Rammohan MishraEdited By: Rammohan MishraUpdated: Mon, 06 Nov 2023 07:00 PM (IST)
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भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
सोर्स, नई दिल्ली। ब्रोकरेज फर्म मार्गन स्टेनली ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 2027 तक सांकेतिक जीडीपी पांच लाख करोड़ डालर तक पहुंच जाएगी और इस तरह भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। रिपोर्ट में इस बात की भी उम्मीद जताई गई है कि वित्त वर्ष 2024 में विकास दर 6.4 प्रतिशत और 2025 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। आइए, पूरी रिपोर्ट के बारे में जान लेते हैं।

6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था

मार्गन स्टेनली को उम्मीद है कि देश की अर्थव्यवस्था 2024 से 2028 तक औसतन 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक विकास में भारत का महत्व बढ़ा है। 2022 में जहां उसका योगदान बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया है वहीं 2023-28 के दौरान इसके 17 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इससे पहले 2021 में भारत का योगदान महज 10 प्रतिशत था।

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अमेरिका और चीन के बाद होगा तीसरी नंबर

रिपोर्ट के मुताबिक डालर के आधार पर हम उम्मीद करते हैं कि भारत की सांकेतिक जीडीपी वृद्धि वित्त वर्ष 2025 तक बढ़कर 12.4 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी और यह चीन, अमेरिका और यूरो क्षेत्र से बेहतर प्रदर्शन करेगी। यह वित्त वर्ष 2024 में सात प्रतिशत रहेगी। उच्च विकास दर का मतलब होगा कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बेस के बावजूद मजबूत चक्रवृद्धि दर से बढ़ेगी।

मार्गन स्टेनली ने कहा-

पिछले कुछ समय से भारत पर हमारा रचनात्मक दृष्टिकोण रहा है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत एशिया में सबसे अच्छी घरेलू मांग का अवसर प्रदान करता है। सबसे अच्छा घरेलू मांग अल्फा अवसर प्रदान करता है। आर्थिक आंकड़े मजबूत हैं और जोखिम परिसंपत्तियों का प्रदर्शन अच्छा बना हुआ है। इस पृष्ठभूमि में निवेशकों के बीच बहस इस बात को लेकर है कि क्या इस मजबूत दौर को बरकरार रखा जा सकता है और जोखिम के कौन-कौन से कारक हैं जिन पर ध्यान रखने की जरूरत है।

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