सारे आर्थिक समीकरण भारत के हक में, क्या बरकरार रह पाएगी 7 प्रतिशत की ग्रोथ रेट?
भारत की इकोनॉमी काफी तेजी से बढ़ रही है। कई प्रतिष्ठित ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों ने भारत की ग्रोथ रेट के अनुमान को रिवाइज्ड करके बढ़ाया है। अब रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के मेंबर शशांक भिडे का कहना है कि भारत मौजूदा वित्त वर्ष और उसके बाद भी सात प्रतिशत ग्रोथ रेट को बनाए रख सकता है। उन्होंने इसकी कई वजहें भी गिनाई हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। पिछली कई तिमाहियों से भारत की आर्थिक विकास दर काफी बेहतर रही है। रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के मेंबर शशांक भिडे का मानना है कि भारत मौजूदा वित्त वर्ष और उसके बाद भी सात प्रतिशत ग्रोथ रेट को बनाए रख सकता है।
भारत के पक्ष में समीकरण
शशांक भिडे ने कहा कि मानसून खेती के अनुकूल है, जिससे उपज बेहतर रहने की संभावना है। वहीं भारत का वैश्विक व्यापार भी काफी अच्छा चल रहा है। ऐसे में भारत के लिए 7 प्रतिशत की ग्रोथ रेट बरकरार रखना मुमकिन है।
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत ने मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में काफी दमदार प्रदर्शन किया है। ऐसे में पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर 8 फीसदी के करीब रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
बढ़ाना होगा उत्पादन
MPC मेंबर भिडे का कहना है कि अगर भारत को लंबी अवधि में खाने-पीने की चीजों का दाम स्थिर रखना है, तो उत्पादकता में सुधार जरूरत रहेगी। पिछले दिनों थोक महंगाई के आंकड़े जारी हुए थे। इसमें सालाना आधार पर मामूली बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन, आलू-प्याज जैसी सब्जियों के दाम में भारी उछाल आया है। हालांकि, अल्पकालिक समस्यावैश्विक तनाव बढ़ा सकते हैं चुनौती
भारत के लिए किस मोर्चे पर चुनौती सबसे अधिक है। इस सवाल पर भिडे ने वैश्विक माहौल का जिक्र किया।
ग्लोबल डिमांड में सुधार की रफ्तार काफी सुस्त है। साथ ही, सप्लाई चेन के साथ भी दिक्कत है। अगर मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव जल्दी खत्म नहीं होता, तो इससे डिमांड-सप्लाई का समीकरण बिगड़ेगा और कीमतें बढ़ने का जोखिम भी रहेगा। कई बार बाढ़ या सूखे जैसी कुदरती आपदाओं से भी कृषि उत्पादन प्रभावित होता है। हमें इनका प्रभाव कम करने की तैयारी भी करने होगी।
शशांक भिडे, RBI MPC मेंबर