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India China Trade: FY24 में भारत ने चीन के साथ सबसे ज्यादा किया व्यापार, दूसरे नंबर पर खिसका अमेरिका

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार (Trading Partner) चीन रहा। भारत के इकोनॉमिक थिंक टैंक- GTRI के डेटा के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में भारत और चीन के बीच दोतरफा व्यापार करीब 118.4 अरब डॉलर का रहा। यह भारत और अमेरिका के दरम्यान हुए व्यापार की तुलना में थोड़ा अधिक है। आइए जानते हैं कि बाकी देशों के साथ भारत का व्यापार कैसा रहा।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Sun, 12 May 2024 01:00 PM (IST)
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पिछले वित्त वर्ष में भारत और चीन के बीच दोतरफा व्यापार करीब 118.4 अरब डॉलर का रहा।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार (Trading Partner) चीन रहा। भारत के इकोनॉमिक थिंक टैंक- ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के डेटा के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में भारत और चीन के बीच दोतरफा व्यापार करीब 118.4 अरब डॉलर का रहा। यह भारत और अमेरिका के दरम्यान हुए व्यापार (118.3 अरब डॉलर) की तुलना में थोड़ा अधिक है। हालांकि, अमेरिका वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 के भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा था।

भारत के 6 सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार

देश  व्यापार
चीन  118.4 अरब डॉलर
अमेरिका  118.3 अरब डॉलर
यूएई  83.6 अरब डॉलर
रूस  65.7 अरब डॉलर
सऊदी अरब  43.4 अरब डॉलर
सिंगापुर  35.6 अरब डॉलर

चीन के साथ कितना बढ़ा व्यापार?

GTRI का डेटा बताता है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत का चीन को निर्यात 8.7 फीसदी बढ़कर 16.67 अरब डॉलर पर पहुंच गया। चीन को निर्यात बढ़ाने में भारत के लौह अयस्क, सूती धागा/कपड़े/मेडअप, हथकरघा, मसाले, फल और सब्जियां, प्लास्टिक और लिनोलियम की अहम भूमिका रही।

अगर चीन से आयात की बात करें, तो इसमें 3.24 फीसदी का उछाल आया और यह 101.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया। भारत चीन से ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक सामान, न्यूक्लियर रिएक्टर्स, बॉयलर, ऑर्गेनिक केमिकल, प्लास्टिक का सामान, फर्टिलाइजर, गाड़ियों से जुड़ा सामान, केमिकल प्रोडक्ट्स, आयरन एंड स्टील, आयरन एंड स्टील का सामान और एलुमिनियम खरीदता है।

अमेरिका से आयात-निर्यात घटा

वित्त वर्ष 2023-24 में अमेरिका को निर्यात 1.32 प्रतिशत घटकर 77.5 अरब डॉलर पर आ गया। अगर आयात पर गौर करें, तो इसमें करीब 20 फीसदी की गिरावट आई है और 40.1 अरब डॉलर पर आ गया।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का कहना है कि वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2024 तक भारत के शीर्ष 15 व्यापारिक भागीदारों के साथ कारोबार में महत्वपूर्ण बदलाव हुए। इससे ज्यादातर सेक्टर के आयात और निर्यात कमी या इजाफा देखने को मिला है।

इस दौरान चीन को निर्यात में 0.6 फीसदी की मामूली गिरावट आई और16.66 अरब डॉलर पर आ गया। वहीं, चीन से आयात में 44.7 फीसदी का इजाफा हुआ और यह 70.32 अरब डॉलर से बढ़कर 101.75 अरब डॉलर हो गया।

भारत के निर्यात और आयात में बड़ा अंतर होने की वजह से चीन के साथ व्यापार घाटा (Trade Deficit) भी बढ़ गया है। यह वित्त वर्ष 2019 में 53.57 अरब डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2024 तक 85.09 अरब डॉलर पहुंच गया। यह भारत के लिए चिंता की बात है, क्योंकि हमारा निर्यात तकरीबन स्थिर है, लेकिन आयात में भारी उछाल आया है।

अजय श्रीवास्तव, GTRI के फाउंडर

अमेरिका के साथ सही है हिसाब

चीन के उलट अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अच्छा चल रहा है। वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2024 के बीच अमेरिका को भारत का निर्यात 47.9 फीसदी बढ़कर 77.52 अरब डॉलर हो गया। वहीं, अमेरिका से आयात भी 14.7 फीसदी बढ़कर 40.78 अरब डॉलर हो गया। इससे अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस भी बढ़ा और यह 16.86 अरब डॉलर से बढ़कर 36.74 अरब डॉलर हो गया।

चीन बड़ा व्यापारिक भागीदार

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चीन 2013-14 से 2017-18 तक और 2020-21 में भी भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार था। चीन से पहले संयुक्त अरब अमीरात देश का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर था। वहीं, 2021-22 और 2022-23 में भारत ने अमेरिका के साथ सबसे अधिक व्यापार किया।

2023-24 में, 83.6 अरब डॉलर के साथ संयुक्त अरब अमीरात, भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। इसके बाद रूस (65.7 अरब डॉलर), सऊदी अरब (43.4 अरब डॉलर) और सिंगापुर (35.6 अरब डॉलर) का स्थान रहा।

क्या होता है व्यापार घाटा 

व्यापार घाटा (Trade Deficit) का मतलब है कि कोई देश अपने व्यापारिक भागीदार को सामान कम बेच पा रहा है, लेकिन उससे खरीदा ज्यादा रहा है। अगर कोई अपने व्यापारिक भागीदार से 100 रुपये का सामान खरीद रहा है, लेकिन बेच सिर्फ 40 रुपये का रहा है, तो उसे 60 रुपये का व्यापार घाटा होगा। जैसा कि भारत और चीन के मामले में है। 

लेकिन, अगर कोई देश सामान अधिक बेचता है, लेकिन अपने ट्रेड पार्टनर खरीदारी कम करता है, तो उसके नजरिए से इसे व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) कहते हैं। जैसा कि अमेरिका से कम सामान खरीद रहा है, लेकिन उसे बेच अधिक रहा है।

(पीटीआई से इनपुट के साथ)

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