चीनी तकनीशियन की वीजा प्रक्रिया में तेजी लाने पर विचार कर रहा भारत
एक अधिकारी ने कहा कि वीजा मंजूरी में तेजी लाने की योजना व्यापार मंत्रालय द्वारा समर्थित है और प्रारंभिक आपत्तियों के बावजूद विदेश मंत्रालय इस पर सकारात्मक विचार कर रहा है। एक उद्योग अनुमान का हवाला देते हुए कहा गया है कि वीजा मुद्दे के कारण पिछले चार वर्षों के दौरान अकेले इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को 15 अरब डालर का उत्पादन घाटा हुआ है।
रॉयटर, नई दिल्ली। चीनी तकनीशियनों के लिए वीजा जारी करने की प्रक्रिया में तेजी लाने पर भारत विचार कर रहा है। मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा है कि इसका उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में होने वाली देरी को दूर करना है।
कम होगा प्रोसेस का टाइम
पिछले नवंबर से इस साल अप्रैल के बीच चीनी तकनीशियनों के लिए लगभग 1,600 वीजा आवेदन प्राप्त हुए हैं। अधिकारी ने कहा है कि वीजा अनुमोदन निर्णयों के लिए समय को एक साल से घटाकर एक महीने से भी कम करने के लिए नया फास्ट ट्रैक पोर्टल स्थापित किया जाएगा। ये वीजा चीनी तकनीशियनों को छह महीने तक रहने की अनुमति देगा।
यह भी पढ़ें- Budget 2024: यूनियन बजट में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन देने के उपायों की उम्मीद
तकनीशियनों के अभाव में हो रहा घाटा
एक अधिकारी ने कहा कि वीजा मंजूरी में तेजी लाने की योजना व्यापार मंत्रालय द्वारा समर्थित है और प्रारंभिक आपत्तियों के बावजूद विदेश मंत्रालय इस पर सकारात्मक विचार कर रहा है। घरेलू उद्योग और सरकारी अधिकारियों ने विदेश मंत्रालय से इस मुद्दे पर तेजी से विचार करने की अपील की है।
इस संबंध में व्यापार मंत्रालय, गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने कोई टिप्पणी नहीं की है। टेलीकाम से लेकर स्टील उत्पादों और सौर पैनलों तक के उद्योगों के अंदर चीन में निर्मित मशीनरी को संचालित करने के लिए तकनीशियनों की आवश्यकता होती है। एक उद्योग अनुमान का हवाला देते हुए कहा गया है कि वीजा मुद्दे के कारण पिछले चार वर्षों के दौरान अकेले इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को 15 अरब डालर का उत्पादन घाटा हुआ है।