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वित्त वर्ष 24 में कटे और पॉलिश किए गए हीरों के निर्यात में आ सकती है कमी, 22 प्रतिशत तक गिर सकता है एक्सपोर्ट

भारत के कटे और पॉलिश किए गए हीरे (सीपीडी) निर्यात में 2023-24 में गिरावट आ सकती है। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख देशों में कमजोर मांग के कारण निर्यात में गिरावट आ सकती है। ICRA की रिपोर्ट के मुताबिक CPD निर्यात 22 फीसदी घटकर 17.2 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है। पढ़िए क्या है पूरी खबर।

By AgencyEdited By: Gaurav KumarUpdated: Tue, 26 Sep 2023 08:21 PM (IST)
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सीपीडी का निर्यात 22 प्रतिशत घटकर 17.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की संभावना है।

नई दिल्ली, एजेंसी: 2023-24 में भारत के कटे और पॉलिश किए गए हीरे (सीपीडी) का निर्यात घट सकता है। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा (Icra) की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और यूरोप सहित प्रमुख स्थानों में कमजोर मांग के कारण निर्यात में गिरावट आ सकती है।

22 फीसदी गिर सकता है निर्यात

इक्रा की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीपीडी का निर्यात 22 प्रतिशत घटकर 17.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की संभावना है।

रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही से सीपीडी निर्यात में गिरावट देखने को मिल रहा है और इस वित्तीय वर्ष यानी वित्त वर्ष 24 के पहले पांच महीनों के दौरान शिपमेंट में साल-दर-साल 31 प्रतिशत की तेज गिरावट देखी गई।

त्योहारी सीजन में सुधार के बावजूद निर्यात में रहेगी कमी

इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक त्योहारी सीजन की शुरुआत के कारण आने वाले महीनों में निर्यात की मात्रा में कुछ क्रमिक सुधार की उम्मीद है लेकिन फिर भी चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात में 22 प्रतिशत की कमी रही सकती है।

इक्रा ने बदला अपना आउटलुक

कटे और पॉलिश किए गए हीरे (सीपीडी) सेक्टर के आउटलुक को स्टेबल से निगेटिव कर दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई को इक्रा के उपाध्यक्ष और सेक्टर प्रमुख साक्षी सुनेजा ने कहा कि

निर्यात संकुचन मुख्य रूप से मुद्रास्फीति के दबाव के कारण अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख उपभोक्ता देशों में कमजोर मांग स्थितियों के कारण हो रहा है, जिससे हीरे से खर्च में बदलाव हो रहा है। चीन से मांग, जो वैश्विक मांग का 10-15 प्रतिशत है, भी अब तक सार्थक रूप से नहीं बढ़ी है

कच्चे हीरों की कीमतों में जारी है तेजी

इक्रा ने अपने रिपोर्ट में कहा कि हाल के महीनों में देखी गई कुछ नरमी के बावजूद, कच्चे हीरों की कीमतें वित्त वर्ष 24 में ऊंची बनी हुई हैं, मौजूदा कीमतें 15 साल के औसत स्तर के आसपास हैं।

खनन कंपनियों से कम आपूर्ति और महामारी के बाद मांग में मजबूत तेजी के बाद, पिछले दो साल में कच्चे हीरे की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।