एक दशक के दौरान 7.8 फीसद की औसत वृद्धि दर संभव, 2030-31 के बीच तेजी से सुधरेगी भारत की आर्थिक स्थिति
अगले एक दशक के दौरान (2022-31) भारत की औसत सालाना आर्थिक विकास दर 7.8 फीसद रहेगी। एक दशक के दौरान तकरीबन आठ फीसद की विकास दर पूरी इकोनॉमी में कई सकारात्मक बदलाव कर सकती है। यह बात देश के सबसे बड़े उद्योग चैंबर आर दिनेश ने कही है। (फोटो-जागरण)
By Anand PandeyEdited By: Anand PandeyUpdated: Thu, 01 Jun 2023 10:20 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जिस तरह से पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश की अर्थव्यवस्था ने सारे अनुमानों को धता बताते हुए 7.1 फीसद की छलांग लगाई है, उसी तर्ज चालू वित्त वर्ष के दौरान भी आर्थिक वृद्धि दर 6.5-6.7 फीसद की रह सकती है। जबकि सभी ने अधिकतम 6.5 फीसद की दर का अनुमान लगाया है। यह बात देश के सबसे बड़े उद्योग चैंबर सीआइआइ के नये अध्यक्ष आर दिनेश ने कही है।
इकोनॉमी में हो सकता है सकारात्मक बदलाव
पदभार संभालने के बाद अपने पहले प्रेस कांफ्रेंस में दिनेश ने यह भी कहा है कि अगले एक दशक के दौरान (2022-31) भारत की औसत सालाना आर्थिक विकास दर 7.8 फीसद रहेगी। जबकि इसके पिछले दशक के दौरान आर्थिक विकास दर (महामारी वाले वर्ष 2021 को छोड़ कर) 6.6 फीसद रही थी। जाहिर है कि एक दशक के दौरान तकरीबन आठ फीसद की विकास दर पूरी इकोनॉमी में कई सकारात्मक बदलाव कर सकती है।महंगाई की स्थिति होगी काबू
चालू वित्त वर्ष और आगामी एक दशक के दौरान क्या चीजें हैं जो सबसे ज्यादा बदलाव करेगी इस बारे मे पूछने पर दिनेश का कहना है कि विकास के पीछे मुख्य तौर पर घरेलू वजहें ही होंगी। आर्थिक नींव काफी मजबूती से रखी हुई है और सरकार की तरफ से पूंजीगत व्यय पर जोर दिये जाने का भी सकारात्मक असर होगा। महंगाई की स्थिति भी काबू में रहेगी।
ये 8 सुझाव करेंगे देश की आर्थिक को मजबूत
सीआइआइ अध्यक्ष का कहना है कि, “भारत सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। अब यह विकास का वैश्विक केंद्र बन गया है। यह दौर भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। हम जी-20 की अध्यक्षता कर रहे हैं। पूरी दुनिया की नजर भारत पर है। इस माहौल से ही कई तरह के नये अवसर पैदा हो रहे हैं और आगे भी होंगे। इसके साथ ही सीआइआइ की तरफ से सरकार के समक्ष आठ अहम सुझाव रखे गये हैं जो पूरे देश की आर्थिकी को और मजबूत बनाने में काम आएगी।सबसे पहला है, बड़े आर्थिक सुधारों को लेकर आम सहमति का निर्माण करना। दूसरा, पेंशन व बीमा फंड से ज्यादा धन पूंजी बाजार में निवेश करने की छूट हो। तीसरा, 2000 अरब डॉलर के निर्यात को हासिल करने के लिए ठोस नीति बनाना। चौथा, कृषि में कारपोरेट सेक्टर की इंट्री को आसान करना।पांचवा, ऊर्जा खपत में हो रहे बदलाव को लेकर सतर्कता से नीति बनाना ताकि विकास पर असर ना हो। छठा, औद्योगिक इस्तेमाल के लिए जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित कराना। सातवां, ज्यादा से ज्यादा आर्थिक कानूनों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाए। आठवां व अंतिम है. कारोबार करने को ज्यादा से ज्यादा आसान बनाने की प्रक्रिया से बाहर रखा जाए।