वैश्विक संकट के बावजूद भारत का निर्यात बढ़ा; रेडीमेड गारमेंट, फार्मा सेक्टर ने दिखाया दम
सितंबर में वस्तुओं के निर्यात में पिछले साल सितंबर की तुलना में 10.55 प्रतिशत रेडिमेड गारमेंट्स में 17.3 प्रतिशत फार्मा में 7. 22 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स में 7.89 प्रतिशत तो लेदर व लेदर उत्पाद में 8.86 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। वैश्विक स्तर पर नए-नए बाजार की तलाश व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न सम्मेलन में भाग लेने से भारतीय गारमेंट के निर्यात में दहाई अंक में बढ़ोतरी हुई है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। मध्य एशिया व यूरोप में तनाव से वैश्विक व्यापार के प्रभावित होने के बावजूद सितंबर में वस्तुओं के निर्यात में 0.51 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले छह महीनों में वस्तु निर्यात में 1.02 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। इंजीनियरिंग गुड्स, रेडीमेड गारमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स, फार्मा जैसे रोजगारपरक सेक्टर के निर्यात में बढ़ोतरी से सितंबर के कुल निर्यात में इजाफा रहा।
सितंबर में वस्तुओं का कुल निर्यात 34.5 अरब डॉलर का तो आयात 55.3 अरब डॉलर का रहा। इस वजह से सितंबर में व्यापार घाटा 20 अरब डॉलर के पार चला गया। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने बताया कि भारत वस्तु व सेवा निर्यात के मामले में तमाम चुनौतियों के बावजूद दुनिया के अन्य देशों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।उन्होंने बताया कि सेवा निर्यात को मिलाकर अप्रैल-सितंबर में देश का कुल निर्यात 393 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर चुका है जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में पांच प्रतिशत अधिक है। अप्रैल-सितंबर में वस्तु निर्यात 213 अरब डॉलर का रहा।
गारमेंट सेक्टर में कुशल गैर कुशल दोनों प्रकार के लोगों को रोजगार मिलता है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार अमेरिका बना हुआ है। इसके बाद यूएई, नीदरलैंड, यूके और चीन का नंबर आता है। लेकिन भारत सबसे अधिक आयात चीन से कर रहा है।
निर्यात प्रतिस्पर्धा कैसे आएगी?
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को उद्योग जगत से कहा कि वह वैश्विक बाजारों का दोहन करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने पर ध्यान केंद्रित करें, क्योंकि निर्यात प्रतिस्पर्धा सरकारी सब्सिडी या समर्थन से नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि सरकार उद्योग जगत को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की मैन्यूफैक्च¨रग के लिए प्रेरित करने का प्रयास कर रही है, क्योंकि उद्योग जगत के लिए यह स्वीकार करना कठिन है कि उन्हें गुणवत्तापरक सामान बनाना चाहिए।
सरकार को शुरुआत में गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों पर उद्योग से विरोध का सामना करना पड़ा था। गोयल ने कहा, 'निर्यात प्रतिस्पर्धा सब्सिडी या समर्थन से नहीं आने वाली है। यह दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए हमारे दरवाजे बंद करने से भी नहीं आने वाली है। अगर हम आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, तो यह तभी हो सकता है जब भारत आत्मविश्वासी होगा और यह आत्मविश्वास तभी आएगा जब हम सभी यह तय करेंगे कि गुणवत्ता हमारा काम नहीं, बल्कि हमारा कर्तव्य है।'
उन्होंने कहा कि यदि भारतीय उद्योग किसी ऐसे उत्पाद में प्रतिस्पर्धी नहीं है, जिसे आयात किया जा सकता है, तो उद्योग को प्रतिस्पर्धा की दिशा में काम करना होगा जहां उसे अन्य देशों के साथ तुलनात्मक लाभ हो। गोयल ने कहा, 'भारत को उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुओं और सेवाओं का मैन्यूफैक्चरर बनने की आकांक्षा रखनी होगी और इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलनी चाहिए।'औषधि उद्योग का उदाहरण देते हुए मंत्री ने बड़े उद्योगपतियों से इस क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) इकाइयों का सहयोग करने को कहा। मंत्री ने उद्योग से बीआइएस (भारतीय मानक ब्यूरो) समितियों में हिस्सा लेने का भी आग्रह किया।
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