चालू खाते का घाटा पहुंच सकता है 10 साल के अधिकतम स्तर पर, वैश्विक उथल-पुथल का नतीजा
वैश्विक उथल-पुथल से चालू खाता घाटा अधिकतम स्तर पर पहुंच सकता है। मार्गन स्टेनले के मुताबिक तेल की ऊंची कीमतों और वैश्विक मंदी से वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत की विकास दर के अनुमान को 7.9 प्रतिशत से घटाकर 7.6 प्रतिशत किया गया है।
By Ashish DeepEdited By: Updated: Thu, 12 May 2022 07:16 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वैश्विक स्तर पर जारी राजनीतिक उथल-पुथल से चालू खाते का घाटा (CAD) 10 साल के अधिकतम स्तर पर पहुंच सकता है। मार्गन स्टेनले के अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के चालू खाते का घाटा जीडीपी का 3.3 फीसद के स्तर तक जा सकता है जो गत 10 साल का सबसे अधिक घाटा होगा। हालांकि अब तक चालू खाते का घाटा 2-2.5 फीसद तक रहने का अनुमान लगाया गया है, जिसे विशेषज्ञ चिंताजनक नहीं मानते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार कम होकर 597.7 अरब डॉलर रह गया स्टेनले की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अप्रैल में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कम होकर 597.7 अरब डॉलर रह गया है जो पिछले साल मई के बाद सबसे कम है। पिछले साल सितंबर में विदेशी मुद्रा का भंडार 642.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। आयात बिल में बढ़ोतरी से विदेशी मुद्रा का भंडार कम हो रहा है।
कच्चे तेल की कीमतों में और तेजी आ सकती है
स्टेनले की रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में और तेजी आ सकती है, जिससे तेल के आयात बिल में बढ़ोतरी होगी और चालू खाते का घाटा बढ़ेगा। अंतरराष्ट्रीय वायदा बाजार में ब्रेंट की कीमत बुधवार को 104.71 डॉलर प्रति बैरल बताई गई।
भारत के लिए चिंता की बात रिपोर्ट के मुताबिक भारत के लिए चिंता की बात यह है कि गत वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में चालू खाते का घाटा जीडीपी के 1.3 फीसद था जो गत वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में बढ़कर 2.7 फीसद हो गया। गत वित्त वर्ष 2021-22 में सीएडी 1.9 फीसद तक रहने का अनुमान लगाया गया है।
भारत खाद्य तेल के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर जानकारों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में वस्तुओं का निर्यात 419 अरब डॉलर का रहा जबकि वस्तुओं का आयात 600 डॉलर से अधिक का रहा। वस्तुओं का निर्यात लगातार बढ़ रहा है, लेकिन आयात निर्यात से अधिक हो रहा है। इस साल अप्रैल महीने में भी वस्तुओं के निर्यात के मुकाबले 20 अरब डॉलर का अधिक आयात किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल के साथ भारत खाद्य तेल के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर है और इन वस्तुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ने से भारत का आयात बिल निश्चित रूप से बढ़ेगा जो सीएडी को और बढ़ाएगा। बिजली उत्पादन के लिए घरेलू स्तर पर कोयले की कमी को देखते हुए कोयले के आयात में भी बढ़ोतरी हो सकती है।