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एफडीआइ विरोध से इंडिया इंक निराश

चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा ने मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआइ [प्रत्यक्ष विदेशी निवेश] को साफ तौर पर मना कर दिया है। इससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या पार्टी केंद्र में सरकार बनाने के बाद क्या एफडीआइ की अनुमति देने की संप्रग की मौजूदा नीति को रद कर देगी? इस आशंका की वजह से ही घोषणा पत्र जारी होने के

By Edited By: Updated: Mon, 07 Apr 2014 07:17 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा ने मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआइ [प्रत्यक्ष विदेशी निवेश] को साफ तौर पर मना कर दिया है। इससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या पार्टी केंद्र में सरकार बनाने के बाद क्या एफडीआइ की अनुमति देने की संप्रग की मौजूदा नीति को रद कर देगी? इस आशंका की वजह से ही घोषणा पत्र जारी होने के कुछ ही मिनटों बाद शेयर बाजार सौ अंक लुढ़क गया। इंडिया इंक भी काफी निराश है।

शेयर बाजार तो बाद में काफी संभल गया और यह अमूमन पिछले कारोबारी दिन के स्तर पर ही बंद हुआ है लेकिन इसने बाजार की चिंताओं को सामने ला ही दिया है। चिंता में इंडिया इंक भी है। फिक्की के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने इस फैसले पर निराशा जताते हुए कहा है, 'एफडीआइ को रोजगार सृजन और परिसंपत्ति निर्माण से जोड़ने का वह स्वागत करते हैं, लेकिन मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआइ के विरोध की वजह से निराशा भी है।' फिक्की ने उम्मीद जताई है कि भाजपा आगे चल कर अपना विरोध खत्म करेगी।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर यह नहीं कहा कि सरकार बनाने के बाद रिटेल में एफडीआइ की मौजूदा नीति निरस्त कर दी जाएगी। लेकिन बाजार और उद्योग जगत इस बात से ही सहमा हुआ है। पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष शरद जयपुरिया का कहना है कि, 'जब पार्टी हर क्षेत्र में एफडीआइ का स्वागत कर रही है, तब सिर्फ मल्टी ब्रांड रिटेल में इसका विरोध करने का कोई मतलब नहीं है। पार्टी का यह रवैया विदेशों में एक गलत संकेत भेजेगा क्योंकि मौजूदा सरकार के फैसलों के आधार पर कई विदेशी रिटेल कंपनियां भारत में निवेश करने के लिए तैयार हैं।' विदेशी निवेशकों के बीच इसका वोडाफोन पर कर लगाने के मामले जैसा ही असर पड़ सकता है।

सनद रहे कि भाजपा हमेशा से मल्टी ब्रांड रिटेल में विदेशी कंपनियों के प्रवेश को लेकर संप्रग की नीति के खिलाफ रही है। भाजपा शासित किसी भी राज्य में यह नीति लागू नहीं है। राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के बाद रिटेल एफडीआइ को स्वीकृति देने संबंधी पूर्व कांग्रेस सरकार की नीति को वापस ले लिया गया है। राजनीतिक गतिरोध की वजह से ही विदेशी कंपनियां भारत आने से हिचक रही हैं। हाल ही में टाटा समूह ने टेस्को के साथ भारत में मल्टी ब्रंाड रिटेल चेन खोलने का एलान किया है। जबकि भारती समूह और कारफू के बीच बातचीत हो रही है। जानकारों का कहना है कि ये कंपनियां चुनाव बाद ही अपनी भावी रणनीति बनाएंगी।