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Explainer: JPMorgan इंडेक्स में भारत के बॉन्ड भी होंगे शामिल, मार्केट पर क्या होगा असर डिटेल में जानें सबकुछ

जेपी मॉर्गन ने जानकारी दी है कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय सरकारी बॉन्ड को सरकारी बॉन्ड को इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स में शामिल किया जाएगा। यह समावेशन अभी पहली बार हुआ है। इस समावेशन का असर शेयर मार्केट में भी देखने को मिलेगा। इसके साथ ही यह भारतीय करेंसी यानी रुपया को भी समर्थन देगा। आइए जानते हैं कि इसका असर शेयर बाजार पर कैसे पड़ेगा?

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Fri, 22 Sep 2023 07:30 PM (IST)
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JPMorgan इंडेक्स में भारत के बॉन्ड भी होंगे शामिल

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क।  जेपी-मॉर्गन (JP Morgan) ने आज एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने बताया कि वह अगल वर्ष 2024 से अपने सरकारी बॉन्ड को इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स (जीबीआई-ईएम) को भारतीय सरकारी बॉन्ड में शामिल करेगा। इस तरह का समावेशन अभी तक पहली बार हुआ है। इस समावेशन के बाद सरकारी डेट में अरबों डॉलर का प्रवाह हो सकता है। ऐसे में भारतीय करेंसी रुपया को भी समर्थन मिल सकता है।

ऐसा माना जा रहा है कि इस समावेशन का असर सीधे शेयर बाजार पर भी देखने को मिलेगा।

इस समावेशन के लिए किसने प्रेरित किया?

भारत सरकार 2013 से ही वैश्विक इंडेक्स में अपने एक्सचेंज को शामिल करने के लिए चर्चा कर रही है। विदेशी निवेशकों ने अभी तक इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। वर्ष 2020 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक प्रतिभूतियों का समूह पेश किया। इस प्रतिभूती को एफएआर कहा जाता है। यह प्रतिभूती विदेशी निवेश प्रतिबंध से मुक्त होता है। आरबीआई द्वारा पेश किये गए प्रतिभूती वैश्विक इंडेक्स में शामिल होने योग्य है।

जेपी मॉर्गन की जानकारी के अनुसार आज के समय में 330 अरब डॉलर के संयुक्त मूल्य वाले 23 भारतीय सरकारी बांड (आईजीबी) इस इंडेक्स के योग्य नहीं है। इसी के साथ लगभग 73 फीसदी निवेशकों ने भारतीय बेंचमार्क को शामिल करने के पक्ष में मतदान किया।

इनफ्लो कितना बड़ा होगा?

जेपी मॉर्गन ने कहा कि भारतीय बांड इंडेक्स का 10 फीसदी का भार रखेंगे। वहीं, अगले वर्ष के जून से इस इंडेक्स के भार में से 1 फीसदी की बढ़त देखने को मिलेगी। इस समावेशन के बाद विश्लेषकों का अनुमान है कि आने वाले 10 महीनों में लगभग 24 अरब डॉलर का प्रवाह हो सकता है। यह विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय डेट  में किए गए 3.5 बिलियन डॉलर के निवेश से काफी ज्यादा है। वर्तमान में इस बांड में विदेशी हिस्सेदारी 1.7 फीसदी है जो अप्रैल-मई 2025 तक 3.4 फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है।

बांड के कारण इनकम पर क्या प्रभाव पड़ता है?

31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में भारत का जीडीपी 5.9 फीसदी बने रहने की उम्मीद है। इसके लिए सरकार को वैश्विक बाजार से 15 ट्रिलियन रुपये यानी लगभग 181 बिलियन डॉलर उधार लेना होगा। वर्तमान में बैंक, इंश्योरेंस कंपनी र म्यूचुअल फंड सरकारी डेट के सबसे बड़े खरीदार रहे हैं। बांड के पैदावार होने से सरकार की उधार लागत को सीमित करने में भी सहायता मिलगी।

कई व्यापारियों ने यह अनुमान लगाया है कि आने वाले कुछ महीनों में  बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड 10-15 आधार अंक गिरकर तक 7 फीसदी तक पहुंच सकती है। इस गिरावट से  कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं को सबसे ज्यादा लाभ होगा। वहीं, दूसरी तरफ विदेशी प्रवाह बांड मुद्रा बाजार को स्थिर बना सकता है। इसके अलावा सरकार और केंद्रीय बैंक इस बांड में सक्रिय रूप से हस्तक्षेप भी कर सकते हैं।

रुपये को कितना प्रभावित करेगा

अगले वित्त वर्ष में डेट प्रवाह के बढ़ जाने के बाद रुपया पर दबाव कम हो जाएगा। करीब 24 बिलियन डॉलर का इंडेक्स समावेशन प्रवाह भारत के 81 बिलियन डॉलर के एक्टिव अकाउंट के एक बड़े हिस्से को कवर करेगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह राशि आईडीएफसी फर्स्ट बैंक द्वारा अगले वित्तीय वर्ष के लिए लगा जाएगा।