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भारत में हर साल 1,000 नये व्यावसायिक पायलटों की हो सकती है जरुरत : सरकार

भारत में एक साल में करीब 200-300 व्यावसायिक पायलटों की मौजूदा उपलब्धता की तुलना में सालाना 1000 पायलटों की जरूरत है। इसके जवाब में मंत्री ने कहा ‘‘हां। अनुमान है कि भारत में हर वर्ष करीब 1000 नये व्यावसायिक पायलटों की जरूरत हो सकती है

By NiteshEdited By: Updated: Fri, 04 Feb 2022 03:41 PM (IST)
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India is estimated to require 1000 fresh commercial pilots every year says vk singh

नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार ने गुरुवार को कहा कि अनुमान है कि देश में हर साल करीब 1,000 नये व्यावसायिक पायलटों की जरूरत हो सकती है। नागर विमानन राज्य मंत्री वी के सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 2021 में देश में भारतीय और विदेशी उड़ान प्रशिक्षण संस्थानों (एफटीओ) से कुल 862 व्यावसायिक पायलट लाइसेंस (सीएलपी) जारी किये गये थे। उन्होंने कहा कि 2020 में जारी सीएलपी की संख्या 578 और 2019 में 744 थी।

प्रश्न पूछा गया था कि क्या यह सही है कि भारत में एक साल में करीब 200-300 व्यावसायिक पायलटों की मौजूदा उपलब्धता की तुलना में सालाना 1,000 पायलटों की जरूरत है। इसके जवाब में मंत्री ने कहा, ‘‘हां। अनुमान है कि भारत में हर वर्ष करीब 1,000 नये व्यावसायिक पायलटों की जरूरत हो सकती है।’’

इस समय देश में नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा स्वीकृत 34 एफटीओ हैं। इनके अलावा छह स्वीकृत प्रशिक्षण संस्थान (एटीओ) हैं जो सीपीएल धारकों को एयरक्राफ्ट टाइप प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।

मंत्री ने एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि अप्रैल-सितंबर 2021 के दौरान भारतीय विमानन कंपनियों का राजस्व बढ़कर 20,690 करोड़ रुपये हो गया जो इससे पिछले साल में इसी अवधि में 11,810 करोड़ रुपये था।

उधर, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि सरकार तेल मार्केटिंग कंपनियों को पेट्रोल और डीजल की कीमतें (Petrol-Diesel Price) घटाने या बढ़ाने के लिए नहीं कहती है। देश में पिछले तीन महीनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। वर्ष 2014 से 2021 तक सात वर्षों की अवधि में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और उन्होंने पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के पिछले आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 1973 से 1979 के बीच जब प्रशासित कीमतों की प्रणाली थी, तब इस दौरान कीमतों में 140 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई और 1979 से 1986 के बीच 122 प्रतिशत वृद्धि हुई।