सेंट पीटर्सबर्ग [राजकिशोर]। रुपये में और गिरावट रोकने के लिए भारत ने जापान के साथ करेंसी स्वैप समझौता किया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और जापान के प्रधानमंत्री टारो आसो के बीच शुक्रवार को यहां हुई द्विपक्षीय बैठक में इस आशय का समझौता हुआ। समझौते के मुताबिक भारत और जापान 15 से 50 अरब डॉलर की राशि का स्थानीय मुद्रा में स्वैप कर सकेंगे। दोनों नेताओं ने इसे न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुद्राओं में छाई अनिश्चितता को कम करने के लिए उठाया गया कदम बताया बल्कि यह भी कहा है कि इससे ग्लोबल मुद्रा बाजार में स्थिरता आएगी।
By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
सेंट पीटर्सबर्ग [राजकिशोर]। रुपये में और गिरावट रोकने के लिए भारत ने जापान के साथ करेंसी स्वैप समझौता किया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और जापान के प्रधानमंत्री टारो आसो के बीच शुक्रवार को यहां हुई द्विपक्षीय बैठक में इस आशय का समझौता हुआ। समझौते के मुताबिक भारत और जापान 15 से 50 अरब डॉलर की राशि का स्थानीय मुद्रा में स्वैप कर सकेंगे। दोनों नेताओं ने इसे न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुद्राओं में छाई अनिश्चितता को कम करने के लिए उठाया गया कदम बताया बल्कि यह भी कहा है कि इससे ग्लोबल मुद्रा बाजार में स्थिरता आएगी।
समूह-20 देशों की बैठक में यहां हिस्सा लेने आया भारतीय खेमा इसे एक बड़ी सफलता बता रहा है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया का कहना है कि ब्रिक्स देशों के साथ 100 अरब डॉलर का फंड बनाने के बाद जापान के साथ करेंसी स्वैप समझौता भारतीय रुपये की गिरावट थामने में बेहद कारगर साबित हो सकता है। अगर कहीं रुपये के साथ सटोरिये खेल रहे हैं तो उनकी गतिविधियों पर लगाम लगेगी।
जी-20 देशों की बैठक के एक सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री सिंह ने भी सभी देशों से यह आग्रह किया कि जब तक दुनिया भर की मुद्राओं में छाई गिरावट व अनिश्चितता का दौर समाप्त नहीं किया जाएगा तब तक तमाम देशों की अर्थव्यवस्था में भी सुधार नहीं होगा। इस बीच, देर शाम जी-20 देशों की बैठक की समाप्ति पर जारी घोषणा पत्र में सभी देशों ने आपसी मतभेद को खत्म करते हुए आज की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी को दूर करने के लिए हाथ मिलाने की बात कही है। यह पहला मौका है जब दुनिया के प्रमुख 20 देश बेरोजगारी दूर करने के लिए आपसी सहमति पर पहुंचे हैं। यह भी सहमति बनी है कि रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सदस्य देशों के लिए अलग-अलग रणनीति तैयार की जाएगी।
छोटी व मझोली औद्योगिक इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए इन देशों के सहयोग से विशेष अभियान शुरू किए जाएंगे ताकि ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके। युवाओं, औरतों, बुजुर्गो को ज्यादा रोजगार के लिए समूह-20 देश खास कदम उठाएंगे। इसके लिए इन देशों में कई स्तर पर प्रयास होंगे। समूह-20 देशों के बीच इस बात पर भी सहमति बन गई है कि वे बहुराष्ट्रीय कंपनियों को एक देश में कमाई गई राशि को टैक्स लाभ देने वाले दूसरे देशों में हस्तांतरित करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करेंगे। जिस देश में कंपनी लाभ अर्जित कर रही है उसे उसी देश में टैक्स अदा करना होगा। इस घोषणा का भारत आने वाले दिनों में फायदा उठा सकता है जहां वोडाफोन सहित कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों से जुड़े इस तरह के विवादों पर फैसला नहीं हो पा रहा है।
जी-20 देशों का घोषणा पत्र ----- 1. आर्थिक विकास के साथ ज्यादा रोजगार देना सर्वोच्च प्राथमिकता 2. आर्थिक मंदी से निबटने के लिए और गहरे ताल्लुक बनाएंगे समूह देश 3. लंबी अवधि के विकास लक्ष्यों के साथ सेंट पीटर्सबर्ग कार्ययोजना मंजूर 4. कॉरपोरेट टैक्स चोरी के खिलाफ लामबंद हुए संगठन के सदस्य 5. लाभ अर्जन करने वाले देश में ही टैक्स चुकाएंगी कंपनियां