India Manufacturing PMI: जून के मुकाबले जुलाई में बढ़ीं मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां, आठ महीने के उच्चतम स्तर पर पीएमआई
India Manufacturing PMI एसएंडपी ग्लोबल द्वारा तैयार किया गया भारत का मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) आठ महीने के उच्च स्तर पर आ गया है। आउटपुट में बढ़ोतरी और नए ऑर्डर मिलने से मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Mon, 01 Aug 2022 11:23 AM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश में विनिर्माण गतिविधियों की जानकारी देने वाला इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (S&P Global India Manufacturing Purchasing Managers' Index) जून के मुकाबले मजबूत होकर 56.4 पर पहुंच गया। इससे पहले यह 53.9 पर था। हर महीने बदलने वाला एसएंडपी ग्लोबल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जून में 53.9 पर रहा, जो मई के मुकाबले 54.6 से कम था। बता दें कि पीएमआई में पिछले आठ महीनों में हुई यह सबसे बड़ी वृद्धि है।
उत्पादन में सुधार, नए ऑर्डर मिलने और रोजगार के आंकड़ों में होने वाली वृद्धि से जुलाई महीने में पीएमआई बेहतर हुई है। जबकि जून में ये सभी सूचकांक कमजोर थे। जून में नए ऑर्डर, उत्पादन, निर्यात, इनपुट खरीद और रोजगार जैसे कई सूचकांकों में व्यापक मंदी थी। जुलाई में आपूर्ति के मोर्चे पर भी सुधार था। पिछले कुछ महीनों से मैन्युफैक्चरिंग की इनपुट लागत पर खासा दबाव है। खरीद मूल्य और आउटपुट शुल्क तेजी से बढ़ रहे हैं। कंपनियां मुद्रास्फीति को लेकर चिंतित हैं, लेकिन समग्र रूप से अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सुधार देखा जा रहा है।
जून के मुकाबले सुधरे हालात
सर्वेक्षण में कहा गया है कि जून में विपरीत जुलाई में कुल नए ऑर्डर इंटेक में काफी वृद्धि हुई। नवीनतम वृद्धि वास्तव में पिछले नवंबर के बाद से सबसे अधिक है। विनिर्माण उद्योग के सभी तीन व्यापक क्षेत्रों में तेजी से विस्तार देखा गया है। सर्वेक्षण के परिणामों से पता चला है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी, बड़े पैमाने पर पूंजी का ऑउटफ्लो, कमजोर रुपये और धीमी वैश्विक विकास दर की चिंताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था कम से कम अभी के लिए लचीली बनी हुई है।क्या है पीएमआई
पीएमआई (Purchasing Managers Index) अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति को दर्शाता है और यह 0 और 100 के बीच होता है। 50 से ऊपर की रीडिंग पिछले महीने की तुलना में समग्र वृद्धि का संकेत देती है, जबकि इसका 50 से नीचे होना अर्थव्यवस्था में समग्र कमी का संकेत है।