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India Manufacturing PMI: 16 साल के हाई लेवल पर भारत का Manufacturing Sector, जानें क्या रहा डिमांड और नए ऑर्डर का हाल?

एचएसबीसी इंडिया परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के अनुसार मार्च में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ग्रोथ 16 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। मार्च में पीएमआई 59.1 पर पहुंच गया। यह फरवरी में 56.9 था। मांग के साथ नए ऑर्डर में भी बढ़ोतरी की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी आई है। पीएमआई 50 से ऊपर होता है तो इसका मतलब विस्तार है जबकि 50 से नीचे संकुचन होता है।

By Agency Edited By: Priyanka Kumari Updated: Tue, 02 Apr 2024 01:56 PM (IST)
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16 साल के हाई लेवल पर भारत का Manufacturing Sector
पीटीआई, नई दिल्ली। एक सर्वे के अनुसार पिछले महीने भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी देखने को मिली है। मांग के साथ नए ऑर्डर में भी बढ़ोतरी की वजह से भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर 16 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। मार्च 2024 से से पहले अक्टूबर 2020 में तेजी देखने को मिली थी।

एचएसबीसी इंडिया परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के अनुसार मार्च में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ग्रोथ 16 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। मार्च में पीएमआई 59.1 पर पहुंच गया। यह फरवरी में 56.9 था। नए ऑर्डर, आउटपुट और इनपुट स्टॉक के साथ-साथ नए रोजगार की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ देखने को मिली है।

परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) की भाषा में कहे तो 50 से ऊपर का मतलब विस्तार होता है जबकि 50 से नीचे का अर्थ संकुचन होता है।

एचएसबीसी के अर्थशास्त्री इनेस लैम ने कहा

भारत का मार्च विनिर्माण पीएमआई 2008 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। विनिर्माण कंपनियों ने मजबूत उत्पादन और नए ऑर्डर के कारण नियुक्तियों का विस्तार किया। ज्यादा मांग और क्षमता में थोड़ी सख्ती की वजह से इनपुट लागत महंगाई भी मार्च में बढ़ी है।

मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट मार्च में लगातार 33वें महीने बढ़ा। इस सेक्टर में आई तेजी से उपभोक्ता, मध्यवर्ती और निवेश क्षेत्रों में भी विकास तेज हुआ।

इस वजह से आई मैन्युफैक्चरिंग में आई तेजी

  • घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों से नए काम का इनफ्लो मजबूत हुआ। सर्वेक्षण में कहा गया है कि मई 2022 के बाद से नए निर्यात ऑर्डर सबसे तेज गति से बढ़े हैं।
  • 2023 के मध्य के बाद से खरीद की मात्रा सबसे तेज दर से बढ़ी, और यह लगभग 13 वर्षों में सबसे मजबूत दर में से एक थी। इसकी वजह है कि कंपनियों ने बिक्री में अपेक्षित सुधार से पहले स्टॉक बनाने की मांग की थी।
  • भारत में निर्माताओं ने मार्च में अतिरिक्त कर्मचारियों को काम पर रखा। सर्वेक्षण में कहा गया है कि रोजगार सृजन की गति हल्की थी, लेकिन सितंबर 2023 के बाद से सबसे अच्छी है।
  • ऐतिहासिक मानकों के अनुसार कीमतों में मामूली गिरावट रहने के बावजूद लागत दबाव पांच महीनों में अपने उच्चतम स्तर पर था। कंपनियों ने बताया कि उन्होंने कपास, लोहा, मशीनरी उपकरण, प्लास्टिक और स्टील के लिए अधिक भुगतान किया है। हालाँकि, कस्टमर रिटेंशन उन सामान उत्पादकों के लिए प्राथमिकता बनी रही जिन्होंने एक वर्ष से अधिक समय में अपने शुल्क न्यूनतम सीमा तक बढ़ाए।
  • भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के परिदृश्य पर कंपनियां औसतन आश्वस्त रहीं। कंपनियों ने आगामी वर्ष में 28 फीसदी आउटपुट ग्रोथ और 1 प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया।
बता दें कि एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) द्वारा लगभग 400 निर्माताओं के एक पैनल में क्रय प्रबंधकों को भेजे गए प्रश्नावली के जवाबों से संकलित किया गया है।