Food Export: भारत ने जरूरतमंद देशों को खाद्यान्न निर्यात की मांगी अनुमति, निर्मला सीतारमण ने कहा- WTO छोड़े झिझक
निर्मला सीतारमण ने WTO से भारत को अपने सार्वजनिक भंडार से ऐसे देशों को खाद्यान्न निर्यात की अनुमति देने की मांगी है जो खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं। डब्ल्यूटीओ के मौजूदा मानदंडों के अनुसार अभी किसी भी देश को अपने सार्वजनिक खाद्यान्न से निर्यात की अनुमति नहीं है
By Amit SinghEdited By: Updated: Fri, 15 Jul 2022 07:36 PM (IST)
नई दिल्ली, प्रेट्र: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) से भारत को अपने सार्वजनिक भंडार से ऐसे देशों को खाद्यान्न निर्यात की अनुमति देने की मांगी है, जो खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं। डब्ल्यूटीओ के मौजूदा मानदंडों के अनुसार अभी किसी भी देश को अपने सार्वजनिक खाद्यान्न भंडार से निर्यात की अनुमति नहीं है, क्योंकि उसे रियायती दरों पर सरकार खरीदती है।
इंडोनेशिया के बाली में तीसरे जी20 वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नर्स (एफएमसीबीजी) की बैठक के इतर 'खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग को मजबूत करने' के विषय पर आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत भूख या खाद्य असुरक्षा को कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन डब्ल्यूटीओ इस मुद्दे पर झिझक रहा है। रूस-यूक्रेन के कारण दुनिया के कई देश इस समय भोजन की कमी का सामना कर रहे हैं।
सिंगापुर के नेतृत्व में लगभग 70-80 देशों का एक समूह डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों को संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के तहत खरीदे गए खाद्यान्न पर निर्यात प्रतिबंध नहीं बढ़ाने की मांग कर रहा है। हालांकि, कुछ सदस्यों ने घरेलू खाद्य सुरक्षा का हवाला देते हुए इस संबंध में दी जाने वाली छूट पर चिंता व्यक्त की है। वित्त मंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि खाद्य, ईंधन और उर्वरक वैश्विक सार्वजनिक सामान हैं और विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए इन तक पहुंच सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि खाद्य उत्पादन और वैश्विक खाद्य प्रणाली को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है। सीतारमण ने भारत के अनुभवों को साझा करते हुए वन नेशन वन राशन कार्ड और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का भी जिक्र किया।
भारत का दीर्घकालिक विकास सरकारी खर्चों से चलने वाली कार्यक्रमों पर निर्भर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत का दीर्घकालिक विकास सरकारी खर्चों से चलने वाले कार्यक्रमों पर निर्भर है। एफएमसीबीजी को संबोधित करते हुए सीतारमण ने यह भी कहा कि जुझारू आर्थिक प्रणालियों के लिए साक्ष्य आधारित नीति निर्माण बेहद जरूरी है। सरकार ने कोरोना महामारी से प्रभावित आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए पूंजीगत व्यय पर जोर दिया है। ऐसा अनुमान है कि सार्वजनिक खर्च में वृद्धि करने से निजी निवेश जुटेगा। सीतारमण ने 2022-23 में पूंजीगत व्यय 35.4 प्रतिशत बढ़ते हुए 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। पिछले वर्ष यह 5.5 लाख करोड़ रुपये था।