WTO में भारत का मजबूत स्टैंड, गेहूं और चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का किया बचाव
विश्व व्यापार संगठन में भारत ने गेहूं और चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले का बचाव किया है। भारत का कहना है कि यह फैसला कमजोर और गरीब लोगों की बेहतरी के लिए लिया गया है।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Thu, 22 Sep 2022 01:40 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) की बैठक में गेहूं (Wheat) और चावल (Rice) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले का बचाव किया है। कुछ सदस्य देशों द्वारा चावल और गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले पर चिंता जताने के बाद भारत ने यह स्टैंड दिखाया है।
पिछले हफ्ते जिनेवा में एक बैठक में अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे वैश्विक बाजारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
मई में भारत ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इस महीने भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया। इसके अलावा मौजूदा खरीफ सीजन में धान की फसल के रकबे में गिरावट के बीच घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया था।
घरेलू बाजार को देखते हुए लिया गया फैसला
फैसले का बचाव करते हुए भारत ने स्पष्ट किया कि टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध घरेलू बाजार को देखते हुए लगाया गया था। इस चावल का सबसे अधिक उपयोग पोल्ट्री फीड में किया जाता है। हाल के महीनों में अनाज के निर्यात में जबरदस्त वृद्धि देखी गई थी। इससे घरेलू बाजार पर दबाव बढ़ता गया।भारत ने कहा कि गेहूं के मामले में खाद्य सुरक्षा चिंताओं के कारण निर्यात पर अंकुश लगाना आवश्यक हो गया। भारत ने यह भी कहा है कि ये उपाय अस्थायी हैं और इन पर लगातार निगरानी की जा रही है। एक अधिकारी ने बताया कि भारत के टूटे चावल के एक प्रमुख आयातक सेनेगल ने भारत से खाद्य पर्याप्तता सुनिश्चित करने के लिए इस कठिन समय में व्यापार को खुला रखने का आग्रह किया।