3rd Largest Consumer Market: 2026 तक तीसरा बड़ा उपभोक्ता बाजार होगा भारत, पहले जर्मनी और फिर जापान हो जाएंगे पीछे
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब भारत के उपभोक्ता बाजार में लगातार मजबूत वृद्धि दर्ज की जा रही है। रिपोर्ट में यूरोमॉनिटर के डाटा के हवाले से कहा गया है कि 2023 में भारत में करीब चार करोड़ लोग समृद्ध वर्ग में शामिल थे जिनकी वार्षिक आय 10 हजार डॉलर (आज की दर से करीब 8.35 लाख रुपये) से अधिक थी।
एएनआई, नई दिल्ली। वित्तीय सेवा फर्म यूबीएस ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए तैयार है। यह 2026 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन जाएगा। यूबीएस ने अपनी 'इंडिया इकोनॉमिक पर्सपेक्टिव्स' रिपोर्ट में कहा है कि चुनौतियों के बावजूद भारत के उपभोक्ता बाजार ने पिछले एक दशक के दौरान उल्लेखनीय लचीलापन और वृद्धि दिखाई है।
रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता बाजार के मामले में भारत 2024 तक जर्मनी और 2026 तक जापान को पीछे छोड़ देगा। साथ ही वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर लेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़ी आबादी और बढ़ते मध्यम वर्ग से भारत की तीव्र प्रगति को मदद मिल रही है। 2023 में भारत की घरेलू खपत 2.1 ट्रिलियन डॉलर रही है, जो पिछले दशक से लगभग दोगुनी है। यह 7.2 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर के साथ बढ़ी है। यह विकास दर चीन, अमेरिका और जर्मनी जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से ज्यादा है।
लगातार बढ़ रहा भारत का उपभोक्ता बाजार
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब भारत के उपभोक्ता बाजार में लगातार मजबूत वृद्धि दर्ज की जा रही है। रिपोर्ट में यूरोमॉनिटर के डाटा के हवाले से कहा गया है कि 2023 में भारत में करीब चार करोड़ लोग समृद्ध वर्ग में शामिल थे, जिनकी वार्षिक आय 10 हजार डॉलर (आज की दर से करीब 8.35 लाख रुपये) से अधिक थी। यह 15 वर्ष या इससे अधिक आयु की कुल आबादी का चार प्रतिशत था। अनुमानों से संकेत मिलता है कि यह आंकड़ा अगले पांच वर्षों में दोगुना से अधिक हो जाएगा, जो भारतीयों के बीच क्रय शक्ति के महत्वपूर्ण विस्तार का संकेत देता है।
नीतिगत पहलों ने भारत का आकर्षण बढ़ाया
भारत का बड़ा घरेलू बाजार मैन्युफैक्चरिंग की खपत में सक्षम है जो इसे अपने एशियाई प्रतिस्पर्धियों पर बढ़त देता है। इसके अतिरिक्त नीतिगत पहलों और संरचनात्मक सुधारों ने उपभोक्ता बाजार के रूप में भारत के आकर्षण को और बढ़ाया है। हालांकि, विश्लेषक लंबी अवधि में उपभोग वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए निरंतर उच्च गुणवत्ता वाले रोजगार सृजन की आवश्यकता पर जोर देते हैं।