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वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा भारत: आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास

महंगाई को काबू में करना अब काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है। अभी जो वैश्विक माहौल है उससे कोई भी देश अलग नहीं रह सकता। इसको देखते हुए आरबीआइ अपनी दरों में आगे बढ़ोतरी करना जारी रख सकता है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Fri, 14 Oct 2022 09:15 PM (IST)
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India to be among fastest growing economies says RBI Governor Shaktikanta das
मुंबई, बिजनेस डेस्क। आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि वैश्विक चुनौतियों के बाद भी भारत इस वित्तीय वर्ष में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शुमार रहेगा। भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद भारत हर चुनौती पर काबू पाने में सफल होगा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो दर बढ़ाने को सही ठहराते हुए कहा कि मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए 50 आधार अंकों की वृद्धि जरूरी थी।

30 सितंबर को शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो दर को 5.9 प्रतिशत तक ले जाने के लिए लगातार तीसरी बार रेपो दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि की थी। मई में रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की गई थी। आशिमा गोयल को छोड़कर अन्य पांच सदस्यों ने रेपो दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि के लिए मतदान किया था।

महंगाई कम करने के सभी उपाय करेगा आरबीआइ

आरबीआई द्वारा शुक्रवार को जारी एमपीसी बैठक के एमओएम (मिनट्स ऑफ मीटिंग) के अनुसार गवर्नर दास ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों में लगातार सुधार हो रहा है, हालांकि मिले-जुले संकेत हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक कारक बाहरी मांग पर दबाव डाल रहे हैं, लेकिन चीजों में सुधार दिखाई दे रहा है। डॉ. शक्तिकांत दास ने कहा है कि महंगाई के बढ़ते जोखिम को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक वह सारे उपाय करेगा जो उसके अधिकार में है।

शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति की पिछली बैठक का ब्योरा आरबीआइ की तरफ से जारी किया गया है। सदस्यों के विचारों से साफ पता चलता है कि जिस तरह से खुदरा महंगाई की दर बढ़ते हुए 7.4 फीसद के स्तर पर पहुंची है, उसे देखते हुए दिसंबर, 2022 में एमपीसी की बैठक में रेपो रेट का बढ़ना तय है।

मजबूत है भारत की इकोनॉमी

आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि भारतीय इकोनमी मजबूत है और इसमें वित्तीय स्थायित्व भी है, लेकिन वैश्विक चुनौतियों का खतरा बढ़ रहा है। इससे सिर्फ घरेलू इकोनमी और महंगाई पर ही असर नहीं होगा, बल्कि वित्तीय बाजार भी प्रभावित होंगे। शक्तिकांत दास ने भरोसा जताया है कि भारत मौजूदा और भावी चुनौतियों का सामना करने में पूरी तरह से सक्षम है। आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा का मानना है कि महंगाई की दर को 6 फीसद से नीचे लाने के लिए और कड़े फैसले लेने पड़ सकते हैं।

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