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Revolutionizing Agriculture: फर्टिलाइजर में आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहे हैं हम, नैनो यूरिया पर सरकार का जोर

Revolutionizing Agriculture भारत सरकार की ओर से फर्टिलाइजर में आत्मनिर्भर बनने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। वर्षों से बंद पड़े सिंदरी गोरखपुर बरौनी एवं रामागुंडम जैसे फर्टिलाइजर प्लांट को शुरू किया गया है जिससे प्रोडक्शन एक साल में 25 प्रतिशत तक बढ़ गया है। भारत में औसत 340 से 350 लाख टन फर्टिलाइजर की जरूरत पड़ती है। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Tue, 15 Aug 2023 09:25 AM (IST)
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भारत में अपनी जरूरत का तीन-चौथाई ही फर्टिलाइजर का उत्पादन हो पाता है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश की बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए खाद्य सुरक्षा को बरकरार रखते हुए फर्टिलाइजर यानी उर्वरकों के क्षेत्र में देश के लिए आत्मनिर्भर बनना अभी भी एक बड़ी चुनौती है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के 'Make in India' विजन के तहत देश धीरे-धीरे फर्टिलाइजर में आत्मनिर्भर बनने की तरफ कदम बढ़ा रहा है।

कितने फर्टिलाइजर का उत्पादन करता है भारत?

मौजूदा समय में भारत में अपनी जरूरत का तीन-चौथाई ही फर्टिलाइजर का उत्पादन हो पाता है और बाकी का भारत को दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है।

बता दें, सामान्य तौर पर भारत को रबी और खरीफ की फसलों के लिए 340 से 350 लाख टन फर्टिलाइजर की जरूरत पड़ती है, लेकिन भारत में 240 से 280 लाख टन का उत्पादन हो पाता है। इसका कारण बाकी बचा 70 से 80 लाख टन दूसरे देशों से आयाता करना पड़ता है।

एक साल में 25 प्रतिशत बढ़ा फर्टिलाइजर का उत्पादन

देश में फर्टिलाइजर की कमी के पीछे एक बड़ा कारण उत्पादन इकाइयों का बंद होना था। सरकार की ओर से पांच वर्ष पहले सिंदरी, गोरखपुर, बरौनी एवं रामागुंडम को शुरू करने का प्लान बनाया गया। इन इकाइयों के शुरू होते ही देश में एक वर्ष के भीतर 25 प्रतिशत तक फर्टिलाइजर का उत्पादन बढ़ा है।

लिक्विड नैनो यूरिया पर सरकार का जोर

सरकार फर्टिलाइजर में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए-नए प्रयोग कर रही है, जिससे कि किसानों को समय पर किफायती दरों पर फर्टिलाइजर उपलब्ध कराया जा सके।

मौजूदा समय में चालू 3 प्लांटों से हर साल करीब 2.5 करोड़ लिक्विड नैनो यूरिया का प्रोडक्शन हो रहा है। 2025-26 तक बाकी की फैक्ट्रियों में भी प्रोडक्शन शुरू होने की उम्मीद है। इसके बाद लिक्विड नैनो यूरिया का प्रोडक्शन 44 करोड़ बोतलों तक पहुंच जाएगा, जो कि 195 लाख टन Granulated यूरिया के बराबर होगा।

फर्टिलाइजर आयात में कमी आने से बचेगा पैसा

सरकार की ओर से विदेशों से आयात किए जाने वाले फर्टिलाइजर की एक बोरी की कीमत करीब 2,200 रुपये होती है, लेकिन सरकार को किसानों के ये 242 रुपये देनी पड़ती है। इस कारण एक बड़ी राशि सरकार द्वारा आयातित फर्टिलाइजर पर सब्सिडी देने के लिए खर्च की जाती है।

बीते 9 सालों में कितना बढ़ा प्रोडक्शन

बीते 9 सालों में फर्टिलाइजर का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कई प्रयास किए गए हैं, जिसका असर भी देखने को मिलने लगा है। 9 साल पहले देश में यूरिया का प्रोडक्शन मात्र 225 लाख टन के करीब था, जो कि पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर करीब 284 लाख टन पर पहुंच गया है।

फर्टिलाइजर प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए किए विदेशी समझौते

रूस- यूक्रेन युद्ध के बाद सरकार ने फर्टिलाइजर आयात पर खतरा मंडराते देख घरेलू स्तर पर प्रोडक्शन बढ़ाने के कई प्रयास किए। इसके लिए जरूरी कच्चे माल जैसे राक फास्फेट एवं फास्फोरिक एसिड को प्राप्त करने के स्वदेशी कंपनियों को संसाधन संपन्न देशों में ज्वाइंट वेंचर लगाने को कहा गया। वहीं, पब्लिक कंपनियों ने अमोनिया, फास्फोरिक एसिड और सल्फर जैसे कच्चे माल के आयात के लिए कुछ देशों के साथ समझौते भी किए हैं।