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2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत : Morgan Stanley

रिपोर्ट का अनुमान है कि 2031 तक भारत की जीडीपी में विनिर्माण क्षेत्र का हिस्सा बढ़कर 21 प्रतिशत हो जाएगा। इससे बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा होंगी। अगले दशक में ऊर्जा में 700 अरब डालर से अधिक निवेश होने की उम्मीद है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Wed, 02 Nov 2022 11:47 AM (IST)
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India to become third largest economy by 2030 claims Morgan Stanley
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वैश्विक निवेश बैंक मॉर्गन स्टेनली ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 2030 तक भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। भारत में विनिर्माण, ऊर्जा संक्रमण और डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश से बहुत से आर्थिक बदलाव हो रहे हैं जो अर्थव्यवस्था को रफ्तार देंगे। इससे भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

'वॉय दिस इज इंडियाज डिकेड' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देने वाले रुझानों और नीतियों पर विस्तार से विचार किया गया है। मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि भारत, विश्व अर्थव्यवस्था में लगातार मजबूत हो रहा है। यह एक ऐसा बदलाव है जो पीढ़ियों में एक बार होता है। यह निवेशकों और कंपनियों के लिए एक सुनहरा अवसर है।

न्यू इंडिया के चार वैश्विक रुझान

जनसांख्यिकी, डिजिटलाइजेशन, डीकार्बोनाइजेशन और डीग्लोबलाइजेशन न्यू इंडिया के पैरामीटर्स हैं। भारत इस दशक के अंत तक वैश्विक विकास के पांचवें भाग का हिस्सेदार होगा।

बढ़ रही प्रति व्यक्ति आय

भारत में आने वाले दशक में 35,000 अमरीकी डॉलर प्रति वर्ष से अधिक आय वाले परिवारों की संख्या पांच गुना बढ़कर 25 लाख से अधिक होने की संभावना है। 2031 तक सकल घरेलू उत्पाद के दोगुने से अधिक होकर 7.5 ट्रिलियन अमरीकी डालर तक पहुंचने की संभावना है। भारत की प्रति व्यक्ति आय 2031 में 2,278 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 5,242 अमेरिकी डॉलर हो जाएगी।

वैश्विक सेवाओं में बढ़ती भागीदारी

वैश्विक सेवाओं के व्यापार में देश की हिस्सेदारी 60 आधार अंक बढ़कर 4.3 प्रतिशत हो गई है। भविष्य में देश के बाहर की नौकरियों में कार्यरत लोगों की संख्या दोगुनी होकर 11 मिलियन से अधिक होने की संभावना है। रिपोर्ट का अनुमान है कि 2030 तक आउटसोर्सिंग पर वैश्विक खर्च प्रति वर्ष 180 से बढ़कर लगभग 500 बिलियन डालर हो सकता है।

आधार सिस्टम से हुए कई बदलाव

भारत की आधार प्रणाली की सफलता के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सभी भारतीयों के लिए मूलभूत आईडी है। अब तो इसके जरिए लेन-देन भी किए जाने लगे हैं। 1.3 अरब लोगों के पास डिजिटल आईडी होने के कारण वित्तीय लेन-देन आसान और सस्ता हो गया है। आधार ने सामाजिक लाभों के प्रत्यक्ष भुगतान को आसान बनाया है।

ये हैं अन्य पैरामीटर्स

  • रिपोर्ट का अनुमान है कि 2031 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण सेक्टर का हिस्सा बढ़कर 21 प्रतिशत हो जाएगा।
  • वैश्विक निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी 2031 तक 4.5 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है। इससे 1.2 ट्रिलियन डालर के बराबर निर्यात के अवसर पैदा होंगे।
  • अगले दशक में भारत का सेवा निर्यात लगभग तीन गुना होकर 527 बिलियन अमरीकी डॉलर (2021 में 178 बिलियन अमरीकी डॉलर) हो जाएगा।
  • 2031 तक ई-कॉमर्स की पहुंच 6.5 प्रतिशत से लगभग दोगुनी होकर 12.3 प्रतिशत हो जाएगी।
  • भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 650 मिलियन से बढ़कर 960 मिलियन हो जाएगी जबकि अगले 10 वर्षों में ऑनलाइन खरीदार 250 मिलियन से बढ़कर 700 मिलियन हो जाएंगे।
  • 2021-2030 के दौरान वैश्विक कार बिक्री का लगभग 25 प्रतिशत भारत से होगा।
  • 2030 तक यात्री वाहनों की बिक्री में 30 प्रतिशत हिस्सा इलेक्ट्रिक गाड़ियों का होगा।
  • भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच 30-40 प्रतिशत जनसंख्या से बढ़कर 60-70 प्रतिशत हो सकती है।
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