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RBI लाभांश से घाटा कम होने पर बेहतर होगी भारत की रेटिंग, यहां जानें डिटेल

अगर राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए सरकार आरबीआई से प्राप्त दो लाख करोड़ रुपये से अधिक के रिकार्ड लाभांश का उपयोग करती है तो इससे भारत की रेटिंग अच्छी हो सकती है। पिछले साल मई में वृद्धि पर स्थिर परिदृश्य के साथ भारत की रेटिंग BBB- रखी थी। बता दें कि BBB- निवेश को लेकर सबसे निचले स्तर की रेटिंग है।

By Ankita Pandey Edited By: Ankita Pandey Updated: Thu, 23 May 2024 06:57 PM (IST)
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RBI लाभांश से घाटा कम होने पर बेहतर होगी भारत की रेटिंग, यहां जानें डिटेल
पीटीआई, नई दिल्ली। सरकार अगर राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए आरबीआई से प्राप्त दो लाख करोड़ रुपये से अधिक के रिकार्ड लाभांश का उपयोग करता है तो आने वाले समय में भारत की रेटिंग अच्छी हो सकती है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग के एक विश्लेषक ने गुरुवार को यह बात कही।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिग्स ने पिछले साल मई में वृद्धि पर स्थिर परिदृश्य के साथ भारत की रेटिंग 'BBB-' रखी थी। साथ ही कमजोर वित्तीय प्रदर्शन और प्रति व्यक्ति कम जीडीपी को जोखिम के रूप में चिह्नित किया था। 'BBB-' निवेश को लेकर सबसे निचले स्तर की रेटिंग है।

निवेश के समय रेटिंग पर किया जाता गौर

तीनों वैश्विक रेटिंग एजेंसियों-फिच, एसएंडपी और मूडीज ने स्थिर परिदृश्य के साथ भारत को सबसे कम निवेश स्तर की रेटिंग दी हुई है। निवेशक किसी देश में निवेश करते समय रेटिंग पर गौर करते हैं। आरबीआई के निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपये का लाभांश देने का फैसला किया है। यह अब तक का सर्वाधिक लाभांश है। यह बजट में जताए गए 1.02 लाख करोड़ रुपये के अनुमान से दोगुने से भी अधिक है।

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अंतरिम बजट में सरकार ने आरबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से कुल 1.02 लाख करोड़ रुपये की लाभांश आय का अनुमान जताया था। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के विश्लेषक यीफर्न फुआ ने कहा, 'आरबीआई से अतिरिक्त लाभांश जीडीपी का लगभग 0.35 प्रतिशत है। यह वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद करेगा या नहीं, यह वास्तव में अंतिम बजट पर निर्भर करेगा। यह जून के चुनाव परिणामों के बाद पारित किया जाएगा।

इस साल फरवरी में संसद में पेश अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है। यह 2023-24 में 5.8 प्रतिशत था। राजकोषीय मजबूती की रूपरेखा के अनुसार सरकारी व्यय और राजस्व के बीच का अंतर 2025-26 तक कम करके 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है।

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