Independence Day 2023 : पूरी दुनिया में बज रहा UPI का डंका, हम बदलेंगे वर्ल्ड ऑनलाइन पेमेंट की तस्वीर
Indian UPI 2016 में यूपीआई के नाम से ज्यादा लोग वाकिफ नहीं थे। वहीं आज के समय में हर व्यक्ति यूपीआई के जरिये ऑनलाइन पेमेंट कर रहे हैं। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि यूपीआई ने भारत की तस्वीर बदल दी है। भारत का डिजिटल युग में प्रवेश करने में यूपीआई का भी योगदान है। आज दुनिया के कई देशों में यूपीआई अपना परचम लहरा रहा है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (UPI) अप्रैल 2016 तक अनसुना या अविश्वसनीय शब्द था। वहीं आज हर किसी की जुबान पर यह शब्द मौजूद है। कुछ साल पहले तक किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि किराने से लेकर मॉल तक इसका इस्तेमाल होगा। आज घर से निकलने पर वॉलेट के भूल जाने पर भी बेफिक्र हो जाते हैं। वहीं, कुछ साल पहले घर से निकलते वक्त पर्स में कितने रुपये हैं इसकी ओर ध्यान जाता था।
माना यूपीआई के शुरुआती साल उतने कामयाब नहीं थे पर वहां 2021 तक बाजार यूपीआई की हिस्सेदारी में जबरदस्त बढ़त देखने को मिली है। 2016-2017 तक क्रेडिट कार्ड के जरिये पेमेंट 36 फीसदी होती है और उस समय यूपीआई की हिस्सेदारी 6 फीसदी ही थी। दूसरी ओर वित्त वर्ष 2021 में यूपीआई की हिस्सेदारी 63 फीसदी हो गई और क्रेडिट कार्ड के जरिये हो रहे भुगतान केवल 9 फीसदी रह गया था। यूपीआई केवल भुगतान करने का जरिया ही नहीं रहा, बल्कि इसके जरिये कई लाखों लो डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म से भी जुड़ गए। ऐसे में यह कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि यूपीआई ने भारत की तस्वीर को बदलने में अहम रोल निभाया है।
यूपीआई ने शुरू किया एक नया युग
यूपीआई के आने से पहले भले ही नेट बैंकिंग शुरू हो गई थी। लेकिन, उस समय भी लोगों नेट बैंकिंग की जगह पर फिजिकल बैंकिंग को ज्यादा पसंद करते थे। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह थी विश्वास की कमी। दरअसल, कई लोगों का मानना था कि नेट बैंकिंग के जरिये उनके साथ फ्रॉड हो सकता है। ऐसे में यूपीआई ने लोगों के बीच अपनी पहचान बनाई। आज लोग किराने की दुकान पर भी छोटी से छोटी चीज का भुगतान यूपीआई के जरिए करते हैं।
देश के बैंक भी कैशलेस को बढ़ावा देने के लिए यूपीआई की मदद कर रहे हैं। कई बैंक अपने डेबिट और क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से लिंक करने की सुविधा दे रहे हैं। ऐसे में लोगों का झुकाव यूपीआई की ओर बढ़ रहा है। अगर आप अपने आस पास ही देखें तो आप पाएंगे कि आज के समय में हर व्यक्ति के फोन में यूपीआई या फिर भीम यूपीआई (BHIM UPI), फोनपे, पेटीएम, गूगल पे, स्लाइड और मोबिक्विक जैसे ऑनलाइन पेमेंट ऐप होगा।
कोविड-19 ने डिजिटल पेमेंट को किया प्रेरित
कोविड-19 महामारी से हमारा देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया जूझ रही थी। कोविड-19 महामारी ने देश भर में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया है। कोविड-19 की पहली दो लहरों ने भले ही यूपीआई के सामने छोटी-छोटी चुनौतियां खड़ी कर दी थी। लेकिन, देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में इसका बड़ा योगदान है। कोविड-19 के समय पूरे देश में उसका डर मौजूद था। लोग फिजिकल करेंसी यानी नोट और सिक्कों की जगह यूपीआई पेमेंट लेना पसंद करने लग गए थे।
यूपीआई नेटवर्क ने जुलाई 2022 में एक आंकड़े जारी किये थे। उस आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2022 में यूपीआई के जरिये 6.28 बिलियन ट्रांजेक्शन हुए थे। इसमें 10.63 ट्रिलियन रुपये की लेनदेन की गई थी। ऐसे में हमें साफ पता चल रहा है कि देश में लोगों के बीच यूपीआई ने अपना अहम स्थान बना दिया है। इसके अलावा नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2022 में यूपीआई से देश के 338 बैंक लिंक हो चुके थे। आज भी इन आंकड़ों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यूपीआई के प्रेषक बैंको में भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड और बैंक ऑफ बड़ौदा शामिल है। वहीं, पेटीएम पेमेंट्स बैंक, यस बैंक लिमिटेड और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यूपीआई के बेनिफिशियरी बैंक है।
दुनिया में भी यूपीआई फैला रहा है अपना परचम
भारत में अपना परचम फैलाने के बाद यूपीआई ने अपने विकास की गति को धीमा नहीं किया। वह अब दुनिया में अपना परचम लहराने के लिए दौड़ शुरू कर चुका है। कई देशों में यूपीआई ने अपना परचम लहरा दिया है। आज कोई भी भारतीय जब सिंगापुर, भूटान और नेपाल घूमने जाता है तो वह गर्व के साथ कहता है कि हम यूपीआई करेंगे। जबकि कुछ साल पहले लोगों को करेंसी एक्सचेंज करने की जरूरत पड़ती थी। 17 जून, 2022 को एनपीसीआई ने घोषणा की थी कि वह यूपीआई के साथ लिंकेज कर रहे हैं। इस लिंकेज के बाद मलेशिया, वियतनाम और थाईलैंड जैसे कई एशियाई बाजारों में यूपीआई के जरिये पेमेंट शुरू हो गई है। इसी के साथ जल्द ही यूएई तक यूपीआई पहुंच जाएगा।
बीते दिन मौद्रिक नीति के फैसले की घोषणा करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने जानकारी दी कि जापान भी यूपीआई के इस्तेमाल को मंजूरी देने वाला है।
डिजिटल पेमेंट की दौड़ में टॉप पर है भारत
हाल के एक रिपोर्ट से पता चला कि भारत डिजिटल पेमेंट की लिस्ट में सबसे टॉप पर है। पिछले साल 2022 में यूपीआई के जरिेये 89.5 मिलियन का ट्रांजेक्शन हुआ है। हमे हैरानी होती है यह जानकर की भारत का डिजिटल पेमेंट दुनिया के चार प्रमुख देशों में किए गए डिजिटल पेमेंट से भी सबसे ज्यादा है। ऐसे में हम डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रहे हैं, साथ ही देश के विकास में भी योगदान दे रहे हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बढ़ते डिजिटल पेमेंट को लेकर कहा कि इस से साफ पता चल रहा है कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था बदल रही है।
अंततः हम यह कह सकते हैं कि आने वाले समय में हमारा यूपीआई दुनिया के हर देशों में अपना परचम लहराएगा। इसी के साथ हम आने वाले समय में दुनिया में 3वीं अर्थव्यवस्था के स्थान खड़े होंगे।