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कर चोरी के मामलों में सहयोग बढ़ाएंगे भारत-अमेरिका

भारत और अमेरिका ने काले धन के मामलों पर कार्रवाई करने के प्रयासों में तेजी लाने के तहत कर चोरी और वित्तीय अपराधों का पता लगाने के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान को लेकर आपसी सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है।

By Edited By: Updated: Mon, 03 Mar 2014 11:07 PM (IST)
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नई दिल्ली। भारत और अमेरिका ने काले धन के मामलों पर कार्रवाई करने के प्रयासों में तेजी लाने के तहत कर चोरी और वित्तीय अपराधों का पता लगाने के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान को लेकर आपसी सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है।

हाल ही में अमेरिकी वित्त विभाग के अधिकारियों ने भारतीय आयकर और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अधिकारियों से अंतर सरकारी समझौते (आइजीए) के सिलसिले में मुलाकात की थी। इस समझौते से दोनों देशों के लोगों और संस्थाओं द्वारा की जाने वाली कर चोरी और वित्तीय अपराध से संबंधित सूचनाओं तक तेजी से पहुंच बनाना आसान हो जाएगा। वर्ष 2009 से भारत का अमेरिका के साथ दोहरा कराधान बचाव समझौता (डीटीएए) है।

सूत्रों के मुताबिक, 'आर्थिक महाशक्तियों के विदेशी खाता टैक्स अनुपालन अधिनियम (एफएटीसीए) के तहत आइजीए को लेकर उच्च स्तरीय बातचीत चल रही है।' एफएटीसीए की शुरुआत वर्ष 2010 में विदेशी खातों का उपयोग करने वाले अमेरिकी करदाताओं को ध्यान में रखकर की गई थी जो नियमों का अनुपालन नहीं करते।

हाल ही में सीबीडीटी के अधिकारियों ने आपसी समझौते की प्रक्रिया (एमएपी) के संबंध में अमेरिकी अधिकारियों से वार्ता की थी। सूत्रों के मुताबिक यह बातचीत करीब एक वर्ष के अंतराल के बाद हुई थी। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच दो दौर की वार्ता पहले ही हो चुकी है। इस वित्तीय वर्ष के दौरान एमएपी के तहत चार महत्वपूर्ण मामलों को सुलझा लिया गया था। दोहरे कराधान को बढ़ावा देने वाले विवादों के हल के लिए करदाताओं के पास एमएपी विकल्प है। एमएपी प्रकिया डीटीएए संधिपत्र में सूचीबद्ध है। भारत के अलावा अमेरिका 50 अन्य देशों से भी बात कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक दोनों ही देशों के वर्गीकृत डोजियर में विदेश में कर चोरी से संबंधित कई मामले हैं। समझौता हो जाने पर सूची का आदान-प्रदान किया जा सकेगा। विदेश में अवैध रूप से काला धन छुपाने के खिलाफ और कर अनुपालन सुनिश्चित कराने केअभियान के तहत भारत अब तक 91 डीटीएए और 16 कर सूचना विनिमय करार कर चुका है।

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