देश की कंप्यूटिंग प्रोसेसिंग क्षमता में भारी वृद्धि की तैयारी- अगले डेढ़ वर्ष में 10000 जीपीयू लगाएगा भारत
जीपीयू को आज कंप्यूटर की दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण कंप्यूटिंग तकनीक माना जा रहा है। गेमिंग कारोबार कंटेंट निर्माण मशीन लर्निंग आदि का इस्तेमाल व्यक्तगित स्तर पर करना हो या वाणिज्यक तौर पर जीपीयू की क्षमता को बेहद आवश्यक माना जा रहा है। कंप्यूटर के क्रीयेटिव इस्तेमाल और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बढ़ते उपयोग की वजह से ही इसे आवश्यक माना जा रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगली केंद्र सरकार देश की मौजूदा कंप्यूटिंग क्षमता को बढ़ाने का काम प्राथमिकता के तौर पर लेगी। इस बात के संकेत नीति आयोग के पूर्व सीईओ और जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत ने दिए। गुरुवार को उन्होंने बताया है कि भारत अगले 18 महीनों के भीतर 10 हजार ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) की खरीद करने जा रही है।
इस बारे में होने वाले निवेश को रणनीतिक निवेश बताते हुए कांत ने कहा है कि देश की मौजूद कंप्यूटिंग सिस्टम को सक्षम बनाने के लिए यह जरूरी होगा। इस बारे में भारत सरकार की दुनिया की कुछ दिग्गज प्रोसेसिंग यूनिट बनाने वाली कंपनियों जैसे एनवीडिया आदि से बात अंतिम दौर में है और आम चुनाव के बाद जून में केंद्र सरकार के गठन के बाद विस्तृत घोषणा होगी। इस बारे में भारत सरकार की तरफ से भी तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी जो हाल ही में घोषित इंडिया आर्टि्फिशियल इंटेलीजेंस (AI) मिशन के तहत होगा।
जीपीयू को आज कंप्यूटर की दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण कंप्यूटिंग तकनीक माना जा रहा है। गेमिंग, कारोबार, कंटेंट निर्माण, मशीन लर्निंग आदि का इस्तेमाल व्यक्तगित स्तर पर करना हो या वाणिज्यक तौर पर, जीपीयू की क्षमता को बेहद आवश्यक माना जा रहा है। कंप्यूटर के क्रीयेटिव इस्तेमाल और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बढ़ते उपयोग की वजह से ही इसे आवश्यक माना जा रहा है।
भारत में अभी तकरीबन 700 के करीब ही जीपीयू है। कांत ने गुरुवार को सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है कि सरकार देश की कंप्यूटिंग क्षमता में भारी बढ़ोतरी करने को तैयार है। इसके लिए अगले 18 महीनों में 10 हजार जीपीयू की खरीद की जाएगी। इस रणनीतिक निवेश से हमारी कंप्यूटिंग प्रोसेसिंग क्षमता हमारी डाटा इस्तेमाल करने की क्षमता के अनुसार हो जाएगी। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से डाटा निर्माण कर रहा है। अमूमन दुनिया का 20 फीसद डाटा भारत में बन रहा है।
कांत आगे लिखते हैं कि दुनिया की कुल एआई परियोजनाओं का भी 19 फीसद भारत में है। यह बताता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एआई के इस्तेमाल करने में भारत की क्षमता कितनी है। एआई की वजह से भारत के शिक्षा और स्वास्थ्य सेक्टर में बहुत बदलाव आएगा व मानव संसाधन विकास में भारत की स्थिति सुधरेगी।
मार्च, 2024 में ही पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में 10,372 करोड़ रुपये के एआई मिशन को मंजूरी दी गई थी। इसके तहत दुनिया भर की डाटा प्रोसेसिंग कंपनियों को भारत में जीपीयू लगाने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि अमेरिकी कंपनी एनवीडिया के साथ बातचीत आगे बढ़ चुकी है और सरकार गठन के बाद इसकी सबसे पहले घोषणा होगी।